आधार डाटा के कथित तौर पर लीक होने और बेचे जाने के मामले में चंडीगढ़ के एक स्थानीय एनजीओ ने पंजाब और हरियाणा कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से दिशा निर्देश मांगे हैं. बता दें कि एक स्थानीय अंग्रेजी अखबार ने इस आशय की खबर प्रकाशित की थी.
ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल नाम के इस एनजीओ की याचिका पर पंजाब और हरियाणा बुधवार को सुनवाई करेगा. एनजीओ ने अपनी याचिका में यूआईडीएआई के खिलाफ लगाए गए आरोपों के मामले में जांच की मांग की है.
याचिकाकर्ता और एनजीओ के चेयरमैन रंजन लखनपाल ने कोर्ट को बताया है कि आधार डाटा का लीक होना एक गंभीर मामला है. आधार डाटा में कार्डधारक की व्यक्तिगत जानकारी होती है, इसलिए यह सुरक्षा में सेंध का एक बड़ा मामला है.
इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अंग्रेजी अखबार और उसकी रिपोर्टर रचना खैरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए यूआईडीएआई की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यूआईडीएआई सिस्टम में खामियों को ठीक करने के बजाय मीडिया और पत्रकारों को बलि का बकरा बना रही है.
बता दें कि यूआईडीएआई की कार्रवाई के खिलाफ पत्रकारों का प्रदर्शन जारी है. मीडिया जगत के सहकर्मियों के साथ द ट्रिब्यून अखबार के कर्मचारी संगठन ने ट्रेड यूनियन के साथ मिलकर मंगलवार को प्रदर्शन किया और रिपोर्टर और अखबार के खिलाफ केस वापस लेने की मांग की.
क्या है पूरा मामला :-
द ट्रिब्यून अखबार ने 3 जनवरी को एक न्यूज रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें आधार डाटा की जानकारी आसानी से और अवैध रूप से उपलब्ध होने के बारे में बताया गया था. इसके बाद यूआईडीएआई ने अखबार और रिपोर्टर रचना खैरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
यूआईडीएआई ने 4 जनवरी को कहा था कि शिकायत निवारण के लिए इसकी सर्च सुविधा का ‘गलत इस्तेमाल’ किया गया होगा, लेकिन कोई आधार डाटा लीक नहीं हुआ है.
यूआईडीएआई के कदम का मीडिया जगत ने बड़े पैमाने पर विरोध किया है. पत्रकारों और एडिटर्स गिल्ड जैसी संस्थाओं ने द ट्रिब्यून और इसकी संवाददाता के खिलाफ मामले को तुरंत वापस लेने की मांग की है.
द ट्रिब्यून ने कहा है कि वह अपनी रिपोर्ट के साथ मजबूती से खड़ा है. अखबार ने यूआईडीएआई के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ‘हमें ट्रिब्यून में इस बात का पक्का यकीन है कि हमारी खबरें वैधानिक पत्रकारिता के दायरे में आती हैं.’