मध्यप्रदेश के गुना लोकसभा सीट से सांसद प्रत्याशी बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2019 में हुई उनकी हार को भूल नहीं पाए हैं। इसलिए वे वर्ष 2024 में वे कोई कौर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते। इसके लिए उन्होंने लोकसभा क्षेत्र में अपनी पैठ बनाना शुरू कर दिया है।
आपको बता दें मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट से भाजपा के चयनित प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिवार को गुना जिले के बमोरी में आयोजित आदिवासी चौपाल में शामिल हुए। जहां उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों के साथ पंगत में बैठकर दाल-बाटी का लुत्फ उठाया और वहीं चौपाल को संबोधित करते हुए उनके द्वार किए गए कार्यों का बाखान भी किया।
इस दौरान सिंधिया ने उनके क्षेत्र के एक गांव में बैलगाड़ी चलाने की कहानी भी सुनाई, जिसमें उन्होंने बताया कि उस गांव में लाइट ही नहीं थी और न जाने के लिए सड़क। जब मैं ग्रामीणों के साथ गांव जाने के लिए निकला तो मैंने खुद ने बैलगाड़ी भी चलाई और जब में वहां से लौटा तो मैंने निश्चय किया कि इस गांव में लाइट और सड़क करवाकर ही लौटूंगा। उस समय में मंत्री भी नहीं था केवल सांसद था। मैंने जैसे तैसे करके गांव के लिए सब स्टेशन मंजूर कराया और जब सब स्टेशन लेकर ट्रक गांव में जाने लगा तो उसका एक्सेल टूट गया। उससे पहले मैंने छह माह में गांव के लिए सड़क मंजूर कराई और उसी रास्ते से ट्रक को पहुंचाया और उस गांव में आज भी बिजली जल रही है।
गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंध्या ने उक्त गांव की कहानी सुनाने के दौरान अपने आपको सांसद बताया और वे सांसद कांग्रेस सरकार में रहे हैं। ऐसे में उन्होंने मौजूदा जन समूह को अपने वे हर काम गिनाए जो उन्होंने सांसद रहते हुए किए। फिर भी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी के रूप मैदान में उतरे सिंधिया को उन्हीं के सहयोगी रहे वर्तमान सांसद केपी यादव के सामने हार का सामना करना पड़ा था। वहीं अब वर्ष 2024 में भाजपा ने केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है, जो अब अपनी जड़ें मजबूत करने में लगे हैं। यही कारण है कि उन्होंने गुना जिले के बमोरी में आदिवासियों के साथ बैठकर पहले दाल-बाटी का लुत्फ उठाया। साथ ही चौपाल में आगामी दिनों में भाजपा सरकार के द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों को भी दोहराया।
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