आत्मनिर्भर भारत के जिस अभियान पर हम निकले हैं, उसमें भी नारी शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है : PM मोदी

PM मोदी : दुष्कर्म की सजा से जुड़े कानूनों को बहुत सख्त किया गया है, दुराचार करने वालों को मृत्युदंड तक का प्रावधान हुआ है। भारत ने जो नया संकल्प लिया है- आत्मनिर्भर भारत के जिन अभियान पर हम निकले हैं, उसमें भी नारी शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है।

चाहे गहरी खदानों में भी काम करने की स्वीकृति हो या फिर सेना में परमानेंट कमीशन देना हो, देश की नारीशक्ति को सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया जा रहा है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सरकार सजग है।

चाहे गर्भावस्था के दौरान मुफ्त चेक-अप की सुविधा हो या फिर पोषण अभियान हो, चाहे स्वच्छ भारत के तहत घरों में शौचालय का निर्माण हो या फिर रसोई में धुएं से आजादी देना हो, चाहे नाइट शिफ्ट में काम करने के अधिकार हों या फिर मातृत्व अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करना हो।

देश में आज महिलाओं के सशक्तिकरण का भी अभियान तेज गति से जारी है। चाहे जन-धन योजना के तहत 22 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते खोलना हो या फिर मुद्रा योजना के तहत करोड़ों महिलाओं को आसान ऋण देना हो चाहे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान हो या फिर तीन तलाक के खिलाफ कानून हो।

भाजपा के विचार यही है, संस्कार यही है और संकल्प भी यही है। इसलिए देश में आज महिलाओं के सशक्तिकरण का अभियान तेज गति से जारी है।

महिषासुर का वध करने के लिए माता का एक अंश ही पर्याप्त था, लेकिन इस कार्य के लिए सभी दैवीय शक्तियां संगठित हो गई थीं। वैसे ही नारी शक्ति हमेशा से सभी चुनौतियों को परास्त करने की ताकत रखती है। ऐसे में सभी का दायित्व है कि संगठित रूप से सभी उनके साथ खड़े हों।

हमारी मां दुर्गा ‘दारिद्रय दु:ख भय हारिणि’ कही जाती हैं, ‘दुर्गति-नाशिनी’ कही जाती हैं। अर्थात, वो दुखों को, दरिद्रता को, दुर्गति को दूर करती हैं। इसलिए, दुर्गापूजा तभी पूरी होती है जब हम किसी के दुख को दूर करते हैं, किसी गरीब की मदद करते हैं।

आज अवसर है इन सबके सामने शीश झुकाने का जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को जीवंत किया, नई ऊर्जा से भर दिया ऐसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, शहीद खुदीराम बोस, शहीद प्रफुल्ल चाकी, मास्टर दा सूर्य सेन, बाघा जतिन को मैं नमन करता हूं।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, शरद चंद्र चट्टोपाध्याय को मैं प्रणाम करता हूं। जिन्होंने समाज को नई राह दिखाई, उन ईश्वरचंद्र विद्यासागर, राजा राम मोहन राय, गुरुचंद ठाकुर, हरिचंद ठाकुर, पंचानन बरमा का नाम लेते हुए नई चेतना जगती है। 

बंगाल की माटी को अपने माथे से लगाकर जिन्होंने पूरी मानवता को दिशा दिखाई, उन श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभु, श्री ऑरोबिंदो, बाबा लोकनाथ, श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र, मां आनंदमयी को मैं प्रणाम करता हूं।

बंगाल की भूमि से निकले महान व्यक्तित्वों ने जब जैसी आवश्यकता पड़ी, शस्त्र और शास्त्र से, त्याग और तपस्या से मां भारती की सेवा की है।

दुर्गा पूजा का पर्व भारत की एकता और पूर्णता का पर्व भी है। बंगाल की दुर्गा पूजा भारत की इस पूर्णता को एक नई चमक देती है, नए रंग देती है, नया श्रृंगार देती है। ये बंगाल की जागृत चेतना का, बंगाल की आध्यात्मिकता का, बंगाल की ऐतिहासिकता का प्रभाव है।

जब आस्था अपरम्पार हो, मां दुर्गा का आशीर्वाद हो, तो स्थान, स्थिति, परिस्थिति, से आगे बढ़कर पूरा देश ही बंगालमय हो जाता है।
पश्चिम बंगाल के मेरे भाइयों और बहनों आज भक्ति की शक्ति ऐसी है, जैसे लग रहा है कि मैं दिल्ली में नहीं लेकिन आज मैं बंगाल में आप सभी के बीच उपस्थित हूं।

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