आज अमालकी एकादशी व्रत (Amalaki Ekadashi 2020) है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को अमालकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं। हिंदू मान्यताओं में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी को प्रिय है, इसलिए आज के दिन उनका आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखा रखा जाता है। लेकिन इस दौरान एकादशी के दिन कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
शास्त्रों में सभी 24 एकादशियों में चावल खाने को वर्जित बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मनुष्य रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है इसलिए इस दिन भूलकर भी चावल का सेवन न करें। जो व्यक्ति व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना और उनके प्रति समर्पण के भाव को दिखाता है। एकादशी के दिन खान-पान और व्यवहार में संयम और सात्विकता का पालन करना चाहिए।
एकादशी के दिन संयम के साथ पति-पत्नी को ब्रह्राचार्य का पालन करना चाहिए, इसलिए इस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनना चाहिए।
सभी तिथियों में एकादशी कि तिथि बहुत शुभ मानी गई है। एकादशी का लाभ पाने के लिए इस दिन किसी को कठोर शब्द नहीं कहना चाहिए। लड़ाई-झगड़ों से बचना चाहिए।
एकादशी का दिन भगवान की आराधना का दिन होता है इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए और शाम के वक्त सोना भी नहीं चाहिए। इसके अलावा इस दिन न तो क्रोध करना चाहिए और न ही झूठ बोलना चाहिए।
एकादशी व्रत के दिन दान अवश्य करना चाहिए।
एकादशी व्रत पर अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना शुभ होता है।
विवाह के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करें।
एकादशी का व्रत करने से इच्छाएं पूरी होती हैं और साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
प्रत्येक एकादशी का व्रत रखने पर धन, मान-सम्मान, अच्छी सेहत, ज्ञान, संतान सुख, पारिवारिक सुख,और मनोवांछित फल मिलते हैं।
एकादशी का व्रत करने से हमारे पूर्वजों को स्वर्ग में जगह मिलती है।