भारतीय रेलवे आज से 80 स्पेशल ट्रेनें चलाने जा रहा है। इन ट्रेनों के लिए रिजर्वेशन की प्रक्रिया 10 सितंबर को चालू की गई थी। यात्रा के लिए रिजर्वेशन जरूरी होगा और बिना रिजर्वेशन वाले यात्रियों को स्टेशन में एंट्री नहीं दी जाएगी। यात्रियों को कम से कम 90 मिनट पहले स्टेशन पर पहुंचना होगा, ताकि कोरोना वायर से जुड़े प्रोटोकॉल को पूरा किया जा सके। ये ट्रेनें पहले से चलाई जा रही 230 स्पेशल ट्रेनों के अलावा हैं। इसके साथ रेल पटरियों पर दौ़ड़ने वाली स्पेशल ट्रेनों की कुल संख्या 310 हो जाएगी। जिन ट्रेनों को चलाने का एलान किया गया है उनमें वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस, लखनऊ शताब्दी और गोरखपुर व प्रयागराज हमसफर एक्सप्रेस शामिल हैं।
रेलवे के मुताबिक यात्रियों की बढ़ती मांग को देखते हुए इन 40 जोड़ी ट्रेनों को चलाने का फैसला हुआ है। इन सभी स्पेशल ट्रेनों में यात्रियों की संख्या पर नजर रखी जाएगी। जिन रूट की ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट लंबी होने लगेगी, वहां वैकल्पिक तौर पर एक क्लोन या डुप्लीकेट ट्रेन चलाई जाएगी। क्लोन ट्रेनों के संचालन की प्रक्रिया की शुरआत अगले 10 दिनों के भीतर कर दी जाएगी। 40 जोड़ी में से 12 जोड़ी ट्रेनें ऐसी होंगी, जो दिल्ली के अलग-अलग स्टेशनों से चलेंगी या वहां पर आकर जिनकी यात्रा समाप्त होंगी। 4 जोड़ी ट्रेनें ऐसी हैं, जो दिल्ली से होकर गुजरेंगी। यानी जो 80 ट्रेनें चलेंगी, उनमें से 32 ट्रेनें ऐसी होंगी, जिनमें यात्री दिल्ली से अपनी यात्रा शुरू या खत्म कर सकेंगे।
जान लें ये जरूरी बात
स्टेशन, ट्रेन पर चढ़ते वक्त और यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करना बेहद जरूरी होगा। यात्रियों को हर समय मास्क पहने रहना होगा। यात्रा के दौरीन किसी भी श्रेणी में यात्रियों को चादर और कंबल उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। इन ट्रेनों के किराए में कैटरिंग चार्जेस शामिल नहीं हैं। रेलवे ने यात्रियों को कम सामान लेकर यात्रा करने तथा अपना खाना/पानी साथ लेकर करने को कहा है। एक बार अपनी गंतव्य स्टेशन पर पहुंचने के बाद यात्रियों को उस राज्य के कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करना होगा।
कहां से कहां तक चलेंगी ट्रेनें
रेलवे की ओर से अस्सी विशेष ट्रेनों के परिचालन की शुरुआत होने के पहले ही दिन इन ट्रेनों में टिकट की बुकिंग बेहद कम रही। गुरुवार को इनके टिकटों की औसत बुकिंग 50 फीसद से भी कम थी। अन्य स्पेशल ट्रेनों के लिए यात्री ही मौजूद नहीं हैं। इसी तरह श्रमिक एक्सप्रेस को वलसाड स्टेशन से बिहार के मुज्जफरपुर के लिए शुरू किया गया जिसमें 179 फीसद लोगों की ही मौजूदगी रही। इंदौर से हावड़ा की ट्रेन में केवल 15 फीसद उपस्थिति रही। दूसरी ओर, उसकी उलटी दिशा में जाने वाली मनमाड से मुंबई की ट्रेन में 52 फीसद यात्री रहे। बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से कर्नाटक और तेलंगाना की ओर जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों का औसत तीस फीसद ही रहा।