कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती को आज यहां मठ परिसर में उनके पूर्ववर्ती श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के समाधि स्थल के बगल में समाधि दी जाएगी. सांस लेने में आ रही दिक्कतों के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए शंकराचार्य का बुधवार को 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.धार्मिक संस्कार सुबह सात बजे अभिषेकम के साथ शुरू होना निर्धारित है. अभिषेकम के बाद आरती होगी और फिर देश भर से वैदिक पंडित सभी चार वेदों से मंत्रों का उच्चारण करेंगे. इस संस्कार में एक विशेष पूजा का आयोजन भी किया जाएगा.
बाद में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के पार्थिव शरीर को मुख्य हॉल से निकालकर वृंदावन एनेक्सी ले जाया जाएगा जहां श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती को समाधि दी गई थी. बेंत की एक बड़ी टोकरी में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के पार्थिव शरीर को बैठी हुई मुद्रा में डालकर सात फुट लंबे और सात फुट चौड़े गड्ढे में नीचे उतारा जाएगा.
ऐसे पूरी होगी प्रक्रिया
समाधि देने से जुड़ी व्यवस्था में जुटे मठ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, ‘समाधि देने के लिए गड्ढा तैयार है और पार्थिव शरीर को उसमें नीचे उतारकर उसके ऊपर शालिग्राम रखा जाएगा.’गड्ढे को जड़ी बूटी, नमक और चंदन की लकड़ी से भर दिया जाएगा. बाद में कबालमोक्षम किया जाएगा जिसमें सिर पर नारियल रखकर उसे प्रतिकात्मक रूप से तोड़ा जाता है.
समाधि संस्कार दोपहर ग्यारह बजे पूरा हो जाएगा. यहां मठ परिसर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम, राज्य के शिक्षा मंत्री के ए सेंगोतैयां और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की है.
साल 18 जुलाई 1935 को जन्मे जयेंद्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे. वे 1954 में शंकराचार्य बने थे. कांची मठ कई स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाता है. इस मठ की स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी. जयेंद्र सरस्वती को 22 मार्च, 1954 को सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था.