2020: माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानि मौनी अमावस्या शुक्रवार 24 जनवरी को है। इस दिन मौन रखकर संयमपूर्वक व्रत किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मौन रहा जाता है। मौन व्रत को लेकर यह भी कहा जाता है कि होठों से प्रभु के नाम का जाप करने पर जितना पुण्य प्राप्त होता है, उससे कई गुणा ज्यादा पुण्य मन में हरि नाम का जप करने से प्राप्त होता है।

ज्योतिषाचार्य सोनू मल्होत्रा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है। इस दिन किया गया दान-पुण्य का फल सतयुग के तप के बराबर मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत की तरह हो जाता है। इस दिन प्रात: स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। श्री हरि को पाने का सुगम मार्ग है माघ मास में सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान। इसमें भी मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान काफी पुण्य प्रदान करता है।
ज्योतिषाचार्य पूनम वाष्र्णेय ने बताया कि शास्त्र के अनुसार सूर्य को आत्मा और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। माना जाता है कि मन चंद्रमा की तरह चंचल होता है और अक्सर साधना-आराधना के दौरान भटक जाता है। ऐसे में किसी साधना को निर्विघ्न पूरा करने के लिए मन को नियंत्रित करना आवश्यक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मन और वाणी पर नियंत्रण रखते हुए स्नान करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- तड़के 2 बजकर 17 मिनट से (24 जनवरी )
अमावस्या तिथि समाप्त- शनिवार तड़के तीन बजकर 11 मिनट तक (25 जनवरी)
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