आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों की पूजा के लिए खास माना जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न पूजा अनुष्ठान का आयोजन करते हैं। साथ ही दान-पुण्य और गंगा नदी में स्नान करने जाते हैं। इस बार अमावस्या 5 जुलाई यानी की आज मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि इस मौके पर ज्यादा से ज्यादा धार्मिक कार्य करना चाहिए।
आषाढ़ अमावस्या को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों की पूजा का विधान है। पारंपरिक रूप से यह दिन पितरों का तर्पण, गंगा स्नान, दान और पुण्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नए कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, जबकि धार्मिक अनुष्ठान के लिए यह तिथि बहुत विशेष होती है।
इसके अलावा इस अवसर (Ashadha Amavasya 2024) पर भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा भी होती है, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं –
आषाढ़ अमावस्या पूजन नियम
सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करने जाएं।
जो जातक गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं, वे घर पर स्नान के पानी में गंगा जल मिलाएं।
अपने पूर्वजों की आत्मा के शांति के लिए उनका तर्पण करें।
जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं।
पितरों की मुक्ति के लिए गायत्री पाठ का आयोजन करें।
इस दिन कौवे, चींटियों, कुत्तों और गाय को भोजन खिलाना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और उन्हें कपड़े और दक्षिणा दें।
सूर्य देव को अर्घ्य दें।
ज्यादा से ज्यादा धार्मिक कार्य करें।
धार्मिक महत्व
अमावस्या का पर्व हिंदुओं के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस विशेष दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं की मुक्ति के लिए पितृ तर्पण, पिंड दान और गायत्री पाठ का आयोजन – जैसे विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, अमावस्या के दिन चंद्रमा की ऊर्जा कम होती है, यही वजह है कि इस मौके पर नए कार्यों को करना अशुभ माना जाता है, जो लोग लगातार किसी समस्या से परेशान हैं, उन्हें इस मौके पर खास पूजा करनी चाहिए। साथ ही गरीबों की मदद करनी चाहिए।