आप सभी को बता दें कि नवरात्रि के छठे दिन आदिशक्ति श्री दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी की पूजा-अर्चना का विधान है. कहते हैं महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था और इस वजह से वह कात्यायनी कहलाती हैं. आइए आज जानते हैं कैसे करना है माँ का ध्यान और कौन से स्तोत्र का पाठ लाभदायक है.
ध्यान-
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्.
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्.
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम्.
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम्.
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम॥
स्तोत्र पाठ-
कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां.
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां.
सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा.
परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
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