केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अगड़ी जातियों के आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने मुसलमानों को लेकर सवाल किया है. सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर यूपी के पूर्व मंत्री ने कहा है कि 5 राज्यो में हार के बाद मोदी सरकार का ये फैसला आया है. उन्होंने कहा, ‘मुझे ये इसमे जानना ये है कि इस 10% आरक्षण में आर्थिक रूप पिछड़े सवर्ण मुसलमानों को कितना मिलेगा?’
आज़म खान ने 10 % में से 5 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिमों को देने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘मुस्लिमों के पास 5 ग़ज़ जमीन भी नहीं है इसलिए उनका हक़ सबसे ज़्यादा बनता है.’
सपा नेता ने कहा, ‘अगर इस संवैधनिक बदलाव में देश की दूसरी बड़ी आबादी के बारे में विचार नहीं ही रह है तो इस आरक्षण का मतलब क्या है? ये फिर एक बार चुनाव के वक्त कम्युनल कार्ड खेला जा रहा है. अगर ये कोई स्ट्रोक नही है हमारी मांग है कि एक्ट में हमारे लिए भी प्रवधान दिया जाए हमे 5% दिया जाए.’
‘मुस्लिमों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा जाए’
आज़म खान ने कहा की अगर आरक्षण देना था तो शुरू में देते अब तो वक्त गुज़र गया. हमें भी आरक्षण दिया जाए हमारी हालात दलितों से बदत्तर है. हमने मांग की है हमें दलितों की कैटगरी में रख दिया जाए.
माया ने बताया चुनावी स्टंट
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी केंद्र सरकार द्वारा सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किए जाने को सराहा है. मायावती ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाले बिल का समर्थन करेगी. उन्होंने कहा कि वो और उनकी पार्टी संविधान संशोधन प्रस्ताव का समर्थन करेगी. लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने 10 प्रतिशत आरक्षण को राजनीतिक स्टंट बताया. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने कहा कि चुनाव से पहले बीजेपी इसे लेकर आ रही है. केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अच्छा होता अगर बीजेपी अपना कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले नहीं, बल्कि और पहले ले आती.
केजरीवाल ने किया स्वागत
इससे पहले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत कोटा देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर राजग सरकार का समर्थन करेगी. आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि इसके लिए संसद के मौजूदा सत्र को बढ़ाया जाना चाहिए. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह भी कहा कि अगर मुद्दे पर केंद्र अपने कदम वापस खींचती है तो संविधान संशोधन विधेयक ‘‘महज एक चुनावी स्टंट’’होगा.
केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णो को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10% आरक्षण देने को सोमवार को मंजूरी दे दी. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसे सरकार का मास्टर स्ट्रोक भी माना जा रहा है. इस विधेयक को आज (मंगलवार) को ही संसद में पेश किया जाएगा.
आपको बता दें कि जिनकी आठ लाख सलाना से कम आमदनी, 5 हेक्टेयर से कम खेती की जमीन है उन्हें आरक्षण दिया जाएगा. 1000 वर्ग फूट से कम का मकान है. कस्हों में 200 गज जमीन वालों को आरक्षण नहीं मिलेगा और शहरों में 100 गज जमीन वालों को आरक्षण नहीं दिया जाएगा.