यूं तो सभी जानते हैं कि चांद पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले इंसान नील आर्मस्ट्रांग थे। उन्होंने 21 जुलाई, 1969 को ये कारनामा कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम अमर कर लिया था। इसके बाद 5 और अमेरिकी अभियान भी चांद पर भेजे गए, लेकिन इस बात को अब करीब 46 साल बीत चुके हैं। इतने सालों से चांद पर कोई भी इंसान नहीं गया है। लेकिन क्यों? ये भी गहरा रहस्य है।
साल 1972 में यूजीन सेरनन चांद पर पहुंचने वाले आखिरी अंतरिक्ष यात्री थे। उनके बाद अब तक कोई भी चांद पर नहीं गया है। हालांकि अमेरिका ने साल 2017 में ही ये एलान किया था कि वो फिर से चांद पर इंसानों को भेजेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इससे जुड़े एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। 

ट्रंप से पहले साल 2004 में भी अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने चांद पर इंसानी मिशन भेजने का प्रस्ताव पेश किया था। इसके लिए 1,04,000 मिलियन डॉलर का अनुमानित बजट भी बनाया गया था, लेकिन बाद में वो प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।
दरअसल, चांद पर किसी इंसान को भेजना काफी महंगा सौदा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर माइकल रिच का कहना है, ‘चांद पर इंसानी मिशन भेजने में काफी खर्च आया था, जबकि इसका वैज्ञानिक फायदा कम ही हुआ।’ यही कारण है कि कोई भी देश चांद पर इंसानों को भेजने से कतराते हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नासा सालों से दूसरे अहम प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगा रहा है। इन सालों में नासा ने कई नए उपग्रह, बृहस्पति ग्रह पर खोज, अन्य आकाशगंगाओं और ग्रहों पर शोध किए हैं। ये भी कारण है कि चांद पर इंसानी मिशन भेजने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। हालांकि नासा हमेशा से चांद पर दोबारा इंसानों को भेजने की वकालत करता रहा है। उसने इसके लिए कई वैज्ञानिक कारण भी बताए हैं।
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