आखिर क्यों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है शादी की ये फोटो? वजह जानकर हो जायेंगे हैरान

नई दिल्ली: इन दिनों पुरे देश में एक शादी की खूब चर्चा हो रही है। दरअसल यह शादी किसी सेलेब्रिटी की नहीं बल्कि एक आम आदमी की है। आपको बता दें इन दिनों सोशल मीडिया पर शादी की एक फोटो खूब वायरल हो रही है। इस फोटो में दूल्हा, दुल्हन और उसकी माँ नज़र आ रही है। वायरल हो रही इस फोटो को चेन्नई के एक फोटोग्राफर ने खींचा है। इस फोटो में दुल्हन की माँ अपनी बेटी को अपनी गोद में उठाये हुए है। यह फोटो शादी के कन्यादान के समय ली गयी थी।आखिर क्यों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है शादी की ये फोटो? वजह जानकर हो जायेंगे हैरान

आपको जानकर हैरानी होगी कि यह फोटो धार्मिक मान्यता के नाम पर सदियों से चली आ रही रुढ़िवादी सोच को तोड़ती हुई दिख रही है। इस फोटो में दुल्हन के पिता कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। सदियों से भारत में यह परम्परा रही है कि बेटी का कन्यादान करते समय दुल्हन के माता-पिता दोनों का एक साथ होना जरुरी है।आखिर क्यों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है शादी की ये फोटो? वजह जानकर हो जायेंगे हैरान

पिता की अनुपस्थिति में घर का कोई अन्य सदस्य मौजूद होना चाहिए। फेसबुक पर इस फोटो को अरविंदन सुदर्शन ने अपनी टाइम लाइन पर पोस्ट किया है, साथ में एक इमोशनल पोस्ट भी लिखा है।आखिर क्यों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है शादी की ये फोटो? वजह जानकर हो जायेंगे हैरान

अरविंदन ने फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि, हमेशा लोग टेक्स्टबुक वेडिंग प्लान करते हैं। जिसमें किसी भी तरह के समझौते की गुंजाइश नहीं होती है। परम्परा के चक्कर में कई बार हम लोग मनुष्य की भावनाओं का भी ध्यान नहीं रखते हैं। उन्होंने आगे लिखा है कि कई बच्चों की देखभाल सिंगल पैरेंट्स करते हैं।आखिर क्यों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है शादी की ये फोटो? वजह जानकर हो जायेंगे हैरान

सिंगल पैरेंट्स को बच्चे की देखभाल के लिए आर्थिक और भावनात्मक संघर्ष से गुजरना पड़ता है। इसके पीछे बस एक वजह होती है कि किसी तरह से बच्चे का घर अच्छी तरह से बस जाये।आखिर क्यों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है शादी की ये फोटो? वजह जानकर हो जायेंगे हैरान

परम्परा के चक्कर में एक सिंगल पैरेंट्स को बच्चे का कन्यादान करने का मौका नहीं मिलता है। इसे धार्मिक मान्यता के अनुसार अशुभ माना जाता है। यह बड़ी ही आश्चर्यजनक बात है कि बच्चे के सबसे करीबी की जगह कोई रिश्तेदार इस महत्वपूर्ण परम्परा को निभाता है। हमेशा क्यों इनको परंपराओं और मान्यताओं में पीछे रखा जाता है। उन्होंने लिखा है की परम्पराएँ और अनुष्ठान, एकरूपता और अनुशासन बनाये रखने के लिए होते हैं। कभी-कभी पुरानी परम्पराओं को बदलना या लचीला बनाना ज्यादा बेहतर होता है।

दुल्हन की माँ राजेश्वरी इस बारे में कहती हैं कि उन्होंने इस परम्परा को तोड़ने का फैसला किया। राजेश्वरी ने बताया कि उनकी शादी 21 साल की उम्र में ही हो गयी थी। इसके बाद वह अपने पति के साथ ऑस्ट्रेलिया चली गयी थीं। उनके पति एक रुढ़िवादी ब्राह्मण परिवार से थे और वह उनसे 12 साल बड़े भी थे। ऑस्ट्रेलिया आने के बाद उन्होंने पति के कहने पर आईटी की पढ़ाई शुरू की। काफी मेहनत करने के बाद उन्हें आइबीएम में नौकरी मिल गयी। नौकरी की वजह से दोनों के बीच दूरियां आ गयी और दोनों ने शादी के17 साल बाद अलग रहने का फैसला किया।

उसके बाद बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गयी। राजेश्वरी ने आगे बताया कि उनकी बेटी संध्या ने एक ऑस्ट्रेलियाई लड़के सैम से शादी करने का फैसला किया। उन्हें पता था कि उनका परिवार रुढ़िवादी है, इसलिए उन्हें कई सवालों के जवाब देने होंगे। लेकिन उन्हें यह जानकार बड़ी हैरानी हुई कि सैम का परिवार भी हिन्दू तरीके से शादी करना चाहता था।

सैम इस शादी को लेकर काफी उत्साहित भी था। संध्या ने कहा कि उन्हें शादी और विदाई के पीछे का अर्थ बहुत अच्छा लगा। राजेश्वरी के मुताबिक उन्होंने शादी में कन्यादान करने का फैसला लिया। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने शादी करवाने के लिए एक पंडित को तैयार किया।

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