मृत्यु का अर्थ है अनंत ब्रह्मांड से संबंध विच्छेद। धरती पर मृत्यु एक अटल सत्य है, हर जीव का अंत अवश्य है, जिसका समय प्राकृति निर्धारित करती है। लेकिन मानव जीवन कि अगर बात करें, तो मानव अपनी ही कुछ गलतियों की वजह से मृत्यु को आमंत्रण देने लगता है। अब आप भी सोचते होगें आखिर कैसे और क्यों कोई मनुष्य अपनी ही मृत्यु को आमंत्रित करेगा? तो हम आपको बतादें कि न चाहकर भी मनुष्य ऐसे काम कर बैठता है, जिसकी वजह से उसकी मृत्यु उसे ढूंढते-ढूंढते उसके पास आ जाती है और वह मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। आज हम आपसे कुछ इसी सिलसिले पर चर्चा करने वाले हैं, यहां पर हम मृत्यु का मानव से संबध के बारे में जानेगें। और यह भी जानेगें कि आखिर कैसे कोई मनुष्य आपनी ही मृत्यु को आमंत्रित कर रहा है?
ऐसा कई बार देखा गया है कि कोई व्यक्ति अगर किसी बड़े प्रोजेक्ट का खाका तैयार करता है और दिन-रात परिश्रम कर उसे पूरा करना चाहता है, तो जब तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता, वह कभी बीमार नहीं पड़ता। उसे बीमार पडऩे की फुर्सत नहीं है। बीमार तो फुर्सत वाले लोग पड़ते हैं। हमारे समाज में कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो बीमारी की संभावना देखकर बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे ही लोग असफल होने के भय से सफलता का प्रयास ही नहीं करते। सच पूछा जाए, तो जिजीविषा का अर्थ इन्हें पता नहीं है।
अगर आप किसी वस्तु को पाना चाहते हैं और आपके मन में उस वस्तु को पाने की प्रबल इच्छा है, तो जब तक आप उसे प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक मर भी नहीं सकते। मृत्यु तो उसके पास आती है, जो मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि मृत्यु को तुम्हारा पता-ठिकाना कुछ मालूम नहीं है। आप तो स्वयं उसे आमंत्रित करके घर बुलाते हैं। आपके पास मृत्यु के आने में कोई दिक्कत न हो, उसके लिए आपने स्वयं सारे मार्ग बना दिए हैं। आपने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी हैं कि अब तो मृत्यु को आना ही पड़ेगा।