मीना कुमारी हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने अपनी कामयाबी का एक नायाब इतिहास रचा लेकिन उनकी जिंदगी काफी दर्द भरी रही जिसकी वजह से उन्हें ट्रेजिडी क्वीन भी कहा जाता था। नाम, इज्जत, शोहरत, काबिलीयत, रुपया, पैसा सभी कुछ मिला पर सच्चा प्यार नहीं। कहते हैं जो गम की तस्वीर मीना कुमारी बना सकती थी वह कोई और नहीं बना सकता था। लेकिन वो गम कहां से आया ये सिर्फ मीना कुमारी ही बता सकती थीं।महज 38 की उम्र तक 100 फिल्में करने वाली मीना कुमारी इस दौर की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्री थीं। मीना कुमारी ने अपनी एक्टिंग के दम पर एक ऐसा इतिहास रचा जिसे भुला पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं हैं। महजबीं को असली पहचान साल 1952 में आई फिल्म ‘बैजू बावरा’ से मिली। इसी फिल्म के निर्देशक विजय भट्ट ने महजबीन बानो को एक नया नाम दिया और तब से वो मीना कुमारी के नाम से जानी जाने लगीं।
मीना कुमारी की दरियादिली का एक किस्सा बताया जाता है। राजेश खन्ना के साथ 70 और 80 के दशक में हिट फिल्में देने वाली मुमताज का नाम किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। कहा जाता है मुमताज ने मीनाकुमारी के लिए एक फिल्म की थी लेकिन मीना कुमारी की आर्थिक स्थिति एक समय में इतनी कमजोर हो गई कि मीनाकुमारी मुमताज को उस फिल्म के लिए 3 लाख रूपये नहीं दे पाई थी।
जब मीना कुमारी बीमार रहने लगी तो एक दिन उन्होने मुमताज को बुलवाया और कहा कि अब मेरा कोई भरोसा नहीं है और 3 लाख का अपना बंगला मुमताज को गिफ्ट कर दिया। हालांकि मुमताज ने कभी भी अपनी फीस के बारे में मीना कुमारी से कोई जिक्र नहीं किया लेकिन दरियादिली दिखाते हुए मीना ने बिना कुछ सोचे अपना पसंदीदी बंगला मुमताज को दे दिया।
मीना कुमारी जैसी सुपरस्टार के साथ फिल्में कर धर्मेंद्र अपना करियर खड़ा किया। कहते हैं अगर मीना कुमारी नहीं होती तो धर्मेंद्र इतने बड़े स्टार नहीं बन पाते। बाद के सालों में खुद धर्मेंद्र ने भी मीना कुमारी के इस योगदान से इनकार नहीं किया। धर्मेंद्र मीना कुमारी से प्यार करते थे। ज्यादा शराब पीने से मीना कुमारी लिवर सिरोसिस की शिकार हो गई और फिल्म ‘पाकिजा’ के रिलीज के कुछ ही हफ्तों बाद 31 मार्च 1972 को 39 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया।