भगवान शिव तथा उनके परिवार से भला कौन परिचित नहीं है। बहुत कम लोग जानते हैं कि शिव जी की एक बहन भी थी। जानें क्या है उनके जन्म की कहानी और कैसे थे देवी पार्वती से उनके संबंध। शास्त्रों के मुताबिक इनके संबंध में धर्म गंर्थों में ज्यादा नहीं बताया गया है। अब सवाल ये उठता है कि जब शिव का जन्म ही नहीं हुआ, यानी वे अजन्में हैं तब उनकी बहन कहां से आईं।
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पौराणिक कथा के मुताबिक, जब शंकर भगवान से विवाह के बाद माता पार्वती कैलाश पर्वत आईं थीं। तब उन्हें कैलाश पर्वत पर अत्यंत अकेलापन महसूस हुआ। एक दिन उनके मन में ख्याल आया काश! शिव शंकर की कोई बहन होती तो वह उनके साथ बातें करतीं। पार्वतीजी के मन में ये बात अनेकों बार उठी, किन्तु उन्होंने शंकरजी को कुछ नहीं बताया।
हालांकि माता पार्वती को परेशान देख एक बार भोले नाथ ने पूछा भी था कि कैलाश में कोई समस्या है तो मुझे बताओ देवी। लेकिन भगवान भोलेनाथ तो अंतर्यामी ठहरे, उन्होंने पार्वतीजी के मन की बात जान ली। माता पार्वती समझ गईं कि शिव शंकर ने उनके दिल की बात जान ली है। वह बोलीं, अगर आप मेरे मन की बात जान ही गए हैं तो भी आप मेरी इच्छा पूर्ण नहीं कर सकते।
भगवान शिव शंकर मुस्कराए और बोले मैं तुम्हे ननद तो लाकर दे दूं, लेकिन क्या आप उसके साथ निभा पाएंगी? इसके बाद शंकरजी ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न किया। हालांकि उनका रूप बड़ा विचित्र था, वह बहुत मोटी थीं और उनके पैरों में काफी दरारें थीं। शिव ने उनका नाम असावरी देवी रखा।
माता पार्वती अपनी ननद को देखकर काफी खुश हुईं। इस तरह माता पार्वती को ननद मिल गई। माता पार्वती ने असावरी देवी को स्नान करवाया और फिर भोजन पर आमंत्रित किया। लेकिन असावरी देवी ने जब खाना शुरू किया तो माता पार्वती के सारे भंडार खाली हो गए। महादेव और अन्य कैलाश वासियों के लिए कुछ भी शेष न रहा। ननद के ऐसे व्यवहार से माता पार्वती को काफी बुरा लगा, लेकिन उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा।
इसके बाद माता पार्वती ने असावरी देवी को पहनने के लिए नए वस्त्र भेंट किए मगर वह इतनी मोटी थीं कि उन्हें वस्त्र छोटे पड़ गए। इसके बाद माता पार्वती दूसरे वस्त्र लेने गईं तो असावरी देवी ने अपनी भाभी के साथ मजाक करना शुरू कर दिया।
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ननद असावरी देवी ने हंसी ठिठोली करते हुए अपनी भाभी को अपने पैरों की दरारों में छुपा लिया। पार्वती जी के लिए दरारों में सांस लेना भी मुश्किल हो गया। उसी समय उधर से शंकर जी माता पार्वती को खोजते हुए आ गए और असावरी देवी से बोले आपको मालुम है पार्वती कहां है?
असावरी देवी ने शरारत भरे लहजे में कहा, मुझे क्या मालुक कहां है भाभी? तभी शिव शंकर समझ गए कि असावरी देवी कोई शरारत कर रही है। उन्होंने कहा, सत्य बोलो मैं जानता हूं तुम झूठ बोल रही हो।
असावरी देवी जोर-जोर से हंसने लगी और जोर से अपना पैर जमीन पर पटक दिया तभी पैर की दरारों में दबी माता पार्वती झटके के साथ बाहर आ गईं।
असावरी देवी जोर-जोर से हंसने लगी और जोर से अपना पैर जमीन पर पटक दिया तभी पैर की दरारों में दबी माता पार्वती झटके के साथ बाहर आ गईं।
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ननद के इस व्यवहार से माता पार्वती का मन बहत ज्यादा दुखी हुआ। वह गुस्से में भगवान भोलेनाथ से बोलीं आप की विशेष कृपा होगी अगर आप अपनी बहन को ससुराल भेज दें। मुझसे गलती हो गई जो मैंने ननद की इच्छा की।
भगवान भोलेनाथ समझ गए कि भाभी-ननद में बहुत पटने वाली नहीं है। इसके बाद उन्होंने असावरी देवी को कैलाश पर्वत से विदा कर दिया। प्राचीन काल से आरंभ हुआ ननद भाभी के बीच नोक-झोंक का सिलसिला आज तक चल रहा है।