आंध्र प्रदेश में सामने आए रहस्यमयी बीमारी एलुरु की वजह से अब तक एक व्यक्ति की मौत हो गई है और 600 से ज्यादा लोग बीमार पड़ चुके हैं। वहीं, इस बीमारी से पीड़ित लोगों के खाने को लेकर किए गए विश्लेषण में विशेषज्ञों के विभिन्न समूहों को पीड़ितों के भोजन में कई असामान्यताएं मिली हैं।
इन रिपोर्टों को देखते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने शुक्रवार को अमरावती में चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ एक वीडियो सम्मेलन किया। एलुरु की वजह से बीमार हुए दो व्यक्तियों को 10 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसमें से एक की मौत हो गई और एक की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
हालांकि, राज्य में इस रहस्यमयी बीमारी के चपेट में आने वाले लोगों की संख्या में हर दिन गिरावट हो रही है। शुक्रवार को केवल चार मामले रिपोर्ट किए गए, इस तरह एलुरु की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 613 हो गई।
इन मरीजों में से 13 का फिलहाल इलाज जारी है, वहीं बाकियों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर वो क्या वजह है, जिसके चलते ये अजीब बीमारी सामने आई है। राज्य सरकार ने कहा है कि वह फिलहाल इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
एम्स और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी ने पीड़ितों के रक्त के नमूनों में लेड और निकेल पाया, लेकिन उन्हें पानी में कुछ भी नहीं मिला।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन ने सब्जियों में कीटनाशकों और हर्बिसाइड अवशेषों को और चावल में मर्करी (पारा) के निशान पाए। रक्त में ऑर्गोफोस्फोरस के अवशेष भी पाए, लेकिन कहा कि इसका अध्ययन किया जाना चाहिए कि वे मनुष्यों में कैसे प्रवेश कर पाए हैं।
आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित परिवेशी वायु गुणवत्ता और पानी के एक अध्ययन से पता चला है कि पानी में भारी धातु की उपस्थिति नहीं है।इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन ने अपने विश्लेषण में दूध में कोई भारी धातु नहीं पाई।
प्रारंभिक निष्कर्षों में पानी के दूषित होने से इनकार किया जा रहा है, फिर भी सीएम ने विशेषज्ञों से कहा कि वे पीने के पानी के नमूनों का परीक्षण करें।
विशेषज्ञ यह भी जांच रहे हैं कि क्या कोविड-19 स्वच्छता कार्यक्रमों में क्लोरीन और ब्लीचिंग पाउडर के अत्यधिक उपयोग ने विषाक्तता को तो जन्म नहीं दे दिया है।