मंडलीय चिकित्सा केंद्र उर्सला अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। गंभीर और बर्न वार्ड तक जाने के लिए इमरजेंसी और ओपीडी में बने रैंप पर मरीजों के स्ट्रेचर से ज्यादा कर्मचारियों के वाहन फर्राटा भरते हैं। दूसरी व तीसरी मंजिल पर वाहन बेरोकटोक दौड़ते हैं लेकिन किसी भी जिम्मेदार का इस ओर ध्यान नहीं है।
उर्सला सरकारी अस्पताल में सीएसएस के साथ सीनियर डाक्टर और निदेशक प्रतिदिन स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण करते हैं। इसके बावजूद मरीजों को स्ट्रेचर पर लाने-ले जाने के लिए बनाए गए रैंप पर वाहन से फर्राटा भर रहे कर्मचारी और अन्य स्टाफ की लापरवाही नजर नहीं आती। इमरजेंसी में प्रतिदिन 200 से ज्यादा मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचते हैं, जिन्हें स्ट्रेचर पर रैंप के जरिये वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। जिस रैंप पर मरीजों को लेकर उनके स्वजन स्ट्रेचर खींचते हैं उसी रैंप पर वाहन का आवागमन हादसे की आशंका को बढ़ा देता है।
मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती
उर्सला अस्पताल की नई बिल्डिंग में बने ब्लड बैंक में कर्मचारी तीसरी मंजिल तक रैंप से वाहन ले जाते हैं। इससे ओपीडी में पहुंचने वाले गंभीर रोगी व बुजुर्ग मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। गुरुवार को गठिया रोग से परेशान बुजुर्ग सीमा देवी ने बताया कि रैंप पर वाहन चालक अराजकता करते हैं। रैंप मरीजों के लिए बना है न कि वाहन चलाने के लिए।
औचक निरीक्षण कर रैंप पर वाहन लेकर जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल परिसर में वाहन चलाना मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है।– डा. चिरंजी राय, निदेशक उर्सला अस्पताल।