असंभव: ये नहीं हो सकता पनकी स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के बड़े महंत रमाकांत ने देह त्याग दिया

पनकी स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के बड़े महंत ने शनिवार सुबह देह त्याग दिया। उनके ब्रह्मलीन होने की खबर मिलते ही भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई।

मंदिर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों और भक्तों ने उनके अंतिम दर्शन किए। सेवादारों ने बिठूर में गंगा किनारे विधि विधान से अंतिम क्रिया की तैयारी शुरू कर दी।

कानपुर देहात शिवली के अनूपपुर गांव में 1912 में रामलाल शुक्ल के घर जन्मे रमाकांत चार भाइयों में तीसरे नंबर के थे। बचपन से उनका मन पूजा-पाठ और धर्म-कर्म में रमने लगा था और ध्यान लगाकर भगवान की आराधना करते थे।

इस दौरान 15 वर्ष की आयु में उन्होंने माता-पिता व घर परिवार को त्याग िदिया था और वर्ष 1927 में पनकी मंदिर के तत्कालीन महंत गंगा दास की शरण में आ गए थे ‌।

निस्वार्थ भाव की सेवा से अभिभूत तत्कालीन महंत गंगा दास ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1956 में महंत गंगादास के ब्रह्मलीन होने पर उन्होंने पंचमुखी हनुमान मंदिर की गद्दी संभाली थी।
इसके बाद उन्होंने मंदिर परिसर का सुंदरीकरण कराने के साथ नेत्र चिकित्सालय एवं मंदिर परिसर की खाली भूमि पर सेवादारों को बसाया था।

शनिवार सुबह महंत रमाकांत ने 88 वर्ष की उम्र में अपनी देह त्याग दी, वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके ब्रह्मलीन होने की जानकारी होते ही आसपास के जिलों समेत क्षेत्रीय भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई।

जानकारी के बाद कई राजनीतिक पार्टियों के नेता व प्रशासनिक अधिकारी भी अंतिम दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे। उनके करीबियों ने बताया कि महंत के पार्थिव शरीर को बिठूर गंगा घाट ले जाया जाएगा। उनकी अंतिम क्रिया की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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