सरकार असंगठित क्षेत्रों की जानकारी को भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शामिल करने की तैयारी कर रही है। सरकार ने वित्त मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति को यह जानकारी दी है। वहीं, अन्य सेवाओं की महंगाई दर की तरह आईटी सेवा की महंगाई दर भी तैयार करने का प्रस्ताव है। स्थायी समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था कि आदर्श रूप से जीडीपी में सभी क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों की जानकारी बारीकी से होनी चाहिए, क्योंकि उसके आधार पर ही नीति का निर्माण होता है।
जीडीपी में हर क्षेत्र की विस्तृत जानकारी नहीं होने पर नीति में खालीपन आ सकता है, जो देश की आर्थिक सेहत के लिए मददगार नहीं होगा। इसलिए असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों व सेवाओं को जीडीपी में शामिल करने की जरूरत है, ताकि आर्थिक मामलों की जमीनी हकीकत का पता लग सके। समिति की इस सिफारिश पर मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि इस दिशा में काम किया जा रहा है, जिसके माध्यम से जीडीपी में शामिल होने वाले आंकड़ों का दायरा बढ़ाया जाएगा। मंत्रालय की कोशिश है कि उपलब्ध संसाधनों की मदद से औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्रों के आंकड़ों को अधिक से अधिक शामिल किया जाए।
आईटी सेवा की महंगाई दर तैयार करने का प्रस्ताव
सरकार अन्य सेवाओं की तरह सूचना प्रौद्योगिकी सेवा से जुड़ी महंगाई दर को प्रायोगिक तौर पर विकसित कर सकती है। समिति की सिफारिश के जवाब में मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी दी गई है। सरकार पोर्ट सेवा से जुड़ी महंगाई दर भी विकसित कर रही है। सरकार कुछ सेवाओं की महंगाई दर को नए सिरे से तैयार कर रही है। इनमें व्यापार सेवा और इंश्योरेंस सेवा शामिल हैं। समिति को दी गई जानकारी में मंत्रालय ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय की सलाह से आईटी सेवा की महंगाई दर तैयार करने का प्रस्ताव है। इसके तहत आईटी सेवा से जुड़ी कीमतों के घटने-बढ़ने का पता चलेगा। इंश्योरेंस सेवा की महंगाई दर पहले से तैयार हो रही है, लेकिन इंश्योरेंस नियामक, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की सलाह पर उसे नए सिरे से तैयार किया जाएगा। बैंकिंग सेवा के मूल्य सूचकांक को भी आरबीआइ नए सिरे से तैयार कर रहा है। व्यापार सेवा मूल्य सूचकांक में जीएसटीए डाटा को शामिल करके उसमें बदलाव की तैयारी की जा रही है। कई प्रकार की सेवाओं के मूल्य सूचकांक को सरकार पहले से तैयार कर रही है।