लखनऊ। सपा के कद्दावर नेता और पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खान का बेटा अब्दुल्ला इन दिनों सुर्खियों में है। लोग उसे अवतारी अब्दुल्ला बता रहे हैं। क्योकि अब्दुल्ला आजम तीन साल में दो बार वह भी अलग अलग जगहों पर पैदा हुए है। पहली बार आजम पुत्र 1990 लखनऊ में तो दूसरी बार वह 1993 में रामपुर में दोबारा पैदा हो गये। इस मामले के सामने आने के बाद लोग असमंजस में है कि कोई दो-दो बार कैसे पैदा हो सकता है। लेकिन यह सही है
कि अब्दुल्ला आजम राजनीतिक कैरियर शुरू करने और विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए आयु सीमा कम होने के कारण एक जनवरी 1993 में पैदा होने के बाद 30 सितम्बर 1990 में दोबारा लखनऊ में पैदा हो गये। और यह सब संभव हुआ नगर निगम लखनऊ के तत्कालीन नगर आयुक्त उदयराज के आजम खां के प्रति पूर्णतया समर्पण की वजह से। यहां पर अब्दुल्ला आजम को विधायक बनाने में तत्कालीन नगर आयुक्त उदयराज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उन्हें लखनऊ में पैदा करा उनका फर्जी जन्मप्रमाण पत्र बनाकर। उदय राज की इस दरियादिली के पीछे सपा सरकार में लगातार चार वर्षों तक नगर आयुक्त की कुर्सी पर बने रहकर करोंडो के घोटाले को बखूबी अंजाम देकर अकूत संपत्ति और धन कमाना रहा है। करीब चार सौ करोड़ के घाटे में नगर निगम लखनऊ को पहुंचाने के बाद अब उत्तराखंड सरकार में भी मलाईदार पदों की शोभा बढ़ा रहे है। लखनऊ नगर निगम अब करीब छह सौ करोड़ के कर्ज और घोटालों में डूबा अब डायलिसिस पर अंतिम सांसे गिन रहा है।
8 जून 2012 को नगर पालिका रामपुर द्वारा जारी किये गये प्रमाणपत्र में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला की जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दिखाई गई थी और जन्म स्थान, घेर मीर बाज खां जेल रोड रामपुर दिखाया गया। जबकि वर्ष 2015 लखनऊ नगर निगम द्वारा जारी गये प्रमाणपत्र में 30 जनवरी 1990 लखनऊ बताया गया। ऐसे में अब आम जनता के साथ ही माननीय अदालत भी जानना चाहती है की आखिर सच क्या है। अब्दुल्ला का अवतार आखिर कब और कहां हुआ है लखनऊ के क्वीनमेरी अस्पताल में या फिर घेर मीर बाज खां जेल रोड रामपुर में।
पिछली सरकार में दबंग मंत्री रहे वर्तमान में रामपुर से सांसद व समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान इन दिनों अपनी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला के साथ फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में सीतापुर की सलाखों में कैद है। जबकि जिन अफसरों ने इन तीनों की मदद की वे अब भी बेखौफ होकर घूम रहे हैं। प्रश्न यह उठता है कि आखिर आजम खान और बेटे अब्दुल्ला की मदद करने वाले कब जेल जाएंगे। सपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे आजम खान व पीसीएस अफसर उदयराज सिंह के गहरे रिश्तों के चलते दबाव में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला का फर्जी जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ नगर नगर निगम द्वारा जारी किया गया था। नौ जनवरी 2015 को अब्दुल्ला का डुप्लीकेट बर्थ सार्टिफिकेट क्वीन मेरी के रजिस्टर में अंकित है। 30 सितंबर 1990 में अब्दुल्ला का जन्म क्वीन मेरी अस्पताल में दिखाया गया है। इसी मामले ने आखिरकार तीनों को हवालात में पहुंचा दिया। पीसीएस अफसर उदयराज सिंह इन दिनों उत्तराखंड कैडर में हैं। इससे पहले उदयराज यूपी में कई सालों तक नगर आयुक्त व अपर आवास आयुक्त के पद पर तैनात रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सीतापुर जेल में बंद सांसद आजम खान से मिलने पहुंचे। उनसे करीब आधे घंटे तक मुलाकात की। योगी सरकार पर बदला लेने व परेशान करने का आरोप लगाया। अखिलेश यादव के साथ पूर्व मंत्री रामपाल राजवंशी, पूर्व विधायक राधेश्याम जयसवाल, पूर्व विधायक अनूप गुप्ता सहित कई अन्य नेताओं ने जेल में उनसे व उनके परिवार वालों से मुलाकात की। हौसला दिया- जल्द आप बाहर आ जाएंगे। रामपुर सांसद आजम खां को पत्नी और पुत्र के साथ रामपुर जेल से प्रशासनिक व्यवस्था के आधार पर सीतापुर जेल स्थानांतरित किया गया। सांसद आजम और इनके पुत्र विधायक अब्दुल्ला आजम खान जेल की विशेष सुरक्षा बैरक में रखे गए हैं। पत्नी विधायक तंजीन फातिमा महिला वार्ड में हैं। गिरफ्तारी के बाद एक दिन वह रामपुर जेल में बंद रहे। मामले में अगली सुनवाई 2 मार्च को होगी।
जीरो टॉलरेंस का संकल्प लेकर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी आखिर पूर्व काबीना मंत्री आजम खां और उनके बेटे के विरूद्ध लगे गंभीर आरोपों की सीबीआई जांच कराने से कतरा क्यूं रही है। ये बात आमजन की समझ से परे है। अखिलेश सरकार में दबंग मंत्री की छवि वाले आजम खां की हर दिन किसी न किसी के विरूद्ध जुबान फिसलना आम बात रही है। यहां तक की राज्यपाल और मुख्यमंत्री के विरूद्ध भी टिप्पणी करने में आजम नहीं चूकते थे। मंत्री के चहेते रहे सेवानिवृत्ति आईएएस एसपी सिंह अफसरों पर शिकंजा कसकर उन्हें हर मनचाहे काम को कराने का दबाव बनवाते रहे, चाहे वो कार्य उचित हो या अनुचित। मंत्री ने कह दिया तो सचिव एसपी सिंह को अपने अधीनस्थों पर दबाव बनाकर उसे हर हाल में कराने की प्रवृत्ति जगजाहिर रही है। सत्ता के मद में मंत्री और उनके सचिव एसपी सिंह यह भी भूल गए कि बेटे अब्दुल्ला का जन्म दो अलग-अलग अस्पतालों और नगर विकास की संस्थाओं से जारी कराना एक आपराधिक मामला है, जो गले की फांस बन सकता है और हुआ भी वहीं। यही नहीं आजम खान के बेटे अब्दुल्ला को जारी किए गए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र की सुचिता को छिपाकर चापलूसी और कुर्सी बचाने के लिए नगर निगम लखनऊ में तैनात तत्कालीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भूमिका की सीबीआई जांच करा दी जाए तो कईयों को जेल हो सकती है। यही नहीं नगर विकास विभाग के अधीन कार्यरत संस्था उत्तर प्रदेश जल निगम और नगर निगम में शहर की सीवर व्यवस्था और पेयजल व्यवस्था के नाम पर हजारों करोड़ का घोटाला किया गया है। यदि इन सारे मामलों की निष्पक्ष जांच करवाई जाती है तो हजारों करोड़ का घोटाला सामने आ सकता है।
बता दें कि रामपुर के एसपी ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि रामपुर जेल में आजम और उनके परिवार को रखने पर कानून-व्यवस्था गड़बड़ा सकती है। लिहाजा उन्हें बरेली या किसी अन्य जेल शिफ्ट किया जाए। इसके बाद 27 फरवरी को तड़के कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें सीतापुर जेल शिफ्ट किया गया। सीतापुर के जेल अधीक्षक डीसी मिश्रा ने इस बात की पुष्टि की। अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र के मामले में आजम खान ने अपनी पत्नी और बेटे के साथ जमानत की अर्जी दाखिल की थी। इस मामले में रामपुर के एडीजे-6 की कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया गया था। फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान ने पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ रामपुर की एक विशेष अदालत में आत्मसमर्पण कर रखा है।
आजम खान ने अपने परिवार के साथ एडीजे 6 धीरेंद्र कुमार की अदालत में आत्मसमर्पण किया है। यही नहीं न्यायालय ने आजम खान, उनकी पत्नी विधायक तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को कई मामलों में अरेस्ट वॉरंट भी जारी कर रखा था। आजम खान के अदालत में सरेंडर के दौरान कोर्ट परिसर में भारी पुलिस फोर्स तैनात किया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में एसपी समर्थक भी वहां मौजूद रहे। इससे पहले अदालत में गैर हाजिर रहने पर विशेष न्यायाधीश एडीजे 6 की कोर्ट ने सांसद आजम खान, विधायक तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ 18 दिसंबर को धारा-82 के तहत कुर्की नोटिस देने का आदेश दिया था।
इससे पहले हुआ था कुर्की का आदेश
इससे पहले 25 फरवरी को निचली अदालत ने समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए थे। 24 फरवरी को एडीजे-6 की कोर्ट ने आजम खान और उनके परिवार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अब्दुल्ला के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र, दो पासपोर्ट और दो पैन कार्ड बनवाने के मुकदमे दर्ज हैं। इनमें तीन मुकदमे बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने दर्ज कराए हैं। उनका आरोप है कि अब्दुल्ला आजम ने फर्जी तरीके से दो जन्म प्रमाणपत्र बनवा रखे हैं।
आजम खान पर है 80 मुकदमे दर्ज
वर्ष 2017 में सूबे में बीजेपी के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद से आजम खान और उनके परिवार पर काफी मुकदमे दर्ज किए गए थे। बताया जा रहा है कि आजम खान पर इस समय 80 से ज्यादा मुकदमे चल रहे हैं। इनमें से कई मामलों में न्यायालय ने उनको हाजिर होने का आदेश दिया था। अदालत की ओर से पेश होने के कई बार आदेश होने के बाद भी आजम खान गैर हाजिर होते रहे। उन्होंने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की लेकिन वहां से भी उनको राहत नहीं मिली।
यह है मामला
मुकदमा विधायक अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा है। बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने जनवरी 2019 में अब्दुल्ला पर धोखाधड़ी से दो-दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने, इसके लिए आजम खान और उनकी पत्नी ने शपथपत्र देकर गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए एफआईआर लिखाई थी। पुलिस ने अप्रैल 2019 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। तभी से अदालत में मुकदमा विचाराधीन है। सांसद आजम खान के खिलाफ अब तक करीब 80 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। दो मामलों में उनके खिलाफ धारा-82 के तहत कुर्की नोटिस अदालत से जारी हुए थे। इनमें एक मामला पड़ोसी को धमकाने और दूसरा आचार संहिता उल्लंघन का था।
2017 में ही Firsteye पत्रिका ने अब्दुल्ला पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का मामला उठाया था। पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खां एवं तत्कालीन लखनऊ नगर आयुक्त पीसीएस अफसर उदयराज के गहरे रिश्तें थे। फस्र्ट आई मैगजीन ने फर्जी प्रमाणपत्र की जानकारी होने पर पूरी छानबीन की और तथ्य इकठ्ठे करने के बाद मामले का खुलासा किया ,यही नही मामले की शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कर मामले की जांच करा दोषियों के खिलाफ कारवाई करने की मांग की थी। इसके बाद पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के पुत्र इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चेयरमैन आकाश सक्सेना ने भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी से इस मामले की शिकायत की।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के समय शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल से कम थी । अब्दुल्ला आजम ने दो-दो पैन कार्ड भी बनवा रखे हैं। नामांकन पत्र में लिखा गया पैन कार्ड का नंबर दुबारा काटकर लिखा गया था । अब्दुल्ला आजम बीटेक है। हाईस्कूल की मार्कशीट में जन्मतिथि का उल्लेख रहता है। शैक्षणिक योग्यता में इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। पूर्व मंत्री आजम खान के अतिनिकट समझे जाने वाले नगर आयुक्त लखनऊ उदयराज ने अपनी दोस्ती का पूरा फर्ज निभाया और अब्दुल्ला आजम को विधायक की कुर्सी तक फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे पहुंचा दिया। नगर आयुक्त उदयराज के दबाव के चलते तत्कालीन नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने अब्दुल्ला आजम का फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिया। नगर आयुक्त के हस्तक्षेप के चलते नगर निगम ने सिर्फ हलफनामा लेकर जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिया। जबकि आवेदक से हाईस्कूल प्रमाणपत्र, पैनकार्ड, आधारकार्ड, डीएल आदि के कागजात लेकर क्वीन मेरी अस्पताल द्वारा जारी किए गए अस्थायी जन्म प्रमाणपत्र में उल्लेखित तिथि का मिलान नहीं किया गया। जो कि नगर आयुक्त उदयराज के दबाव के चलते नहीं किया गया और बिना किसी जांच-पड़ताल के आनन-फानन में जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया।
नगर निगम ने अब्दुल्ला का आसान कर दिया रास्ता
सांसद आजम खान की पत्नी डाॅ. तजीन फातिमा ने 17 जनवरी 2015 को नगर स्वास्थ अधिकारी को शपथ पत्र दिया था। इसमें बताया गया कि अब्दुल्ला का जन्म लखनऊ के क्वीन मेरी हाॅस्पिटल में 30 सितंबर 1990 को हुआ था और उसी आधार पर वह नगर निगम से जन्म प्रमाणपत्र जारी करवाना चाहती हैं। अस्पताल से मिले जन्म प्रमाणपत्र और आजम की पत्नी के शपथ पत्र के आधार पर नगर निगम ने रजिस्ट्रेशन संख्या एनएनएलकेओबी-2015-292611 पर जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जबकि मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां का जन्म प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका परिषद ने 28 जून 2012 में जारी किया था। तब उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दिखाई गई थी और जन्म स्थान, घेर मीर बाज खां जेल रोड रामपुर दिखाया गया था। आजम खां जैसे जागरूक व्यक्ति जिसने यूपी सरकार में कई बार मंत्री पद को सुशोभित करने के साथ ही जौहर युनिवर्सिटी के कुलपति सहित तमाम महत्वपूर्ण पदों पर रहे है और उन्हें अपने बेटे का जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में 25 साल लग गए। वजह साफ है कि बेटे को विधायक बनाने में उम्र रोड़ा था, और आजम सत्ता में रहते हुए किसी भी कीमत पर अपने बेटे अब्दुल्ला को राजनीति में लाना कहते थे। समाजवादी पार्टी की सरकार के होते हुए यह सब गड़बड़ घोटाला करना आसान था जिसे नगर निगम ने और आसान कर दिया। नगर आयुक्त ने आवेदक की फर्जी अर्जी स्वीकार करते हुए नगर स्वास्थ्य अधिकारी को जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दे दिया और बना दिया अब्दुल्ला की विधायक। लेकिन अबी मोहम्मद साहब खुद ही अपने बुने जाल में फंस चुके है और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उन्हें सांत्वना देने के अलावा कुछ कर भी नही सकते। अब जो भी करेगा कानून करेगा।