‘चोर – चोर मौसेरे भाई’ ये कहावत तो सभी ने कहीं न कहीं सुन ही रखी होगी, लेकिन इस कहावत के अच्छे उदाहरण आपको कहीं देखने का मन करे तो आप हमारे देश के नेताओं के भाषण सुन लीजिये. आये दिन अपने उटपटांग भाषणों से साम्प्रदायिक बू फ़ैलाने के मामलें में 21 वीं सदी के नेता विश्व स्तर पर किसी को भी टक्कर दे सकते है. कर्नाटक राज्य में विधानसभा कि करकाला सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले सुनील कुमार ने दक्षिण कन्नड़ जिले की सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बंतवाल सीट के चुनाव को ‘‘हिंदू स्वाभिमान का सवाल’’ बताया है.
सुनील कुमार का ये भाषण बंतवाल सीट जीतने वाले विधायक और मंत्री रामनाथ के दिए गए उस भाषण का जवाब था, जिसमें उन्होंने अपनी जीत का श्रेय अल्लाह और मुसलमानों के धर्मनिरपेक्ष रवैये को दिया. राय ने हाल में कहा, ‘‘बंतवाल से अगर मुझे छह बार विधायक बनने का अवसर मिला तो यह अल्लाह और मुसलमानों के धर्मनिरपेक्ष रुख की वजह से संभव हुआ.’’
काल्लाडका में मंगलवार को भाजपा कि रैली को सम्बोधित कर रहे कुमार यहीं नहीं रुके, आगे अपने भाषण में कुछ ऐसा कह गए जो लोगो को आपस में लड़वाने के लिए काफी है. आगे वे कहते है कि, बंतवाल सीट अब हिन्दुओं के स्वाभिमान का सवाल है, बंतवाल सीट में होने वाला चुनाव किसी पार्टी में नहीं बल्कि ‘मुसलमानों के अल्लाह’ और ‘हिन्दुओं के राम के बीच.’ होगा.
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