रुपये की लगातार गिरती कीमत को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चालू खाते का घाटा कम करने और देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिए जल्द ही कुछ और कदम उठाये जा सकते हैं। जेटली ने कहा कि सरकार इसे लेकर पहले भी कुछ कदम उठाए हैं। अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बाजार उधारी के लक्ष्य में 70 हजार करोड़ रुपए की कमी की है. साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों का विपणन करने वाले तेल कंपनियों को विदेशों से एक साल में 10 अरब डॉलर तक जुटाने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा मसाला बॉन्ड पर विदहोल्डिंग कर को फिलहाल हटा लिया गया है। उन्होंने कहा कि राजकोषीय स्थिति को सुदृढ़ बनाए रखना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे हिसाब से राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना सबसे जरूरी प्राथमिकताओं में से एक है। आप तभी कुछ सुविधा ले सकते हैं जब आपकी राजकोषीय स्थिति मजबूत होती है। जेटली ने कहा कि हम धीरे-धीरे राजकोषीय घाटे को 4.6% से नीचे लाए हैं और इस साल हम इसे जीडीपी के 3.3% पर लाने का लक्ष्य है। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह का राजस्व संग्रहण प्रत्यक्ष कर से हो रहा है, हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। तेल कंपनियों की चिंताओं के बीच वित्त मंत्री का बयान, तेल की कीमतें नियंत्रित नहीं करेगी सरकार यह भी पढ़ें आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से देश के चालू खाते घाटे पर असर पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हुई 85 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई वहीं रुपया तेजी से गिरता हुआ 74 रुपए प्रति डॉलर के स्तर को छू गया है. इससे देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह पर दबाव बढ़ गया है।

अरुण जेटली बोले चालू खाते से घाटा कम करने के लिए सरकार जल्द उठा सकती है बड़ा कदम

रुपये की लगातार गिरती कीमत को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चालू खाते का घाटा कम करने और देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिए जल्द ही कुछ और कदम उठाये जा सकते हैं। जेटली ने कहा कि सरकार इसे लेकर पहले भी कुछ कदम उठाए हैं।रुपये की लगातार गिरती कीमत को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चालू खाते का घाटा कम करने और देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिए जल्द ही कुछ और कदम उठाये जा सकते हैं। जेटली ने कहा कि सरकार इसे लेकर पहले भी कुछ कदम उठाए हैं।  अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बाजार उधारी के लक्ष्य में 70 हजार करोड़ रुपए की कमी की है. साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों का विपणन करने वाले तेल कंपनियों को विदेशों से एक साल में 10 अरब डॉलर तक जुटाने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा मसाला बॉन्ड पर विदहोल्डिंग कर को फिलहाल हटा लिया गया है।  उन्होंने कहा कि राजकोषीय स्थिति को सुदृढ़ बनाए रखना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे हिसाब से राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना सबसे जरूरी प्राथमिकताओं में से एक है। आप तभी कुछ सुविधा ले सकते हैं जब आपकी राजकोषीय स्थिति मजबूत होती है।  जेटली ने कहा कि हम धीरे-धीरे राजकोषीय घाटे को 4.6% से नीचे लाए हैं और इस साल हम इसे जीडीपी के 3.3% पर लाने का लक्ष्य है। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह का राजस्व संग्रहण प्रत्यक्ष कर से हो रहा है, हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।   तेल कंपनियों की चिंताओं के बीच वित्त मंत्री का बयान, तेल की कीमतें नियंत्रित नहीं करेगी सरकार यह भी पढ़ें आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से देश के चालू खाते घाटे पर असर पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हुई 85 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई वहीं रुपया तेजी से गिरता हुआ 74 रुपए प्रति डॉलर के स्तर को छू गया है. इससे देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह पर दबाव बढ़ गया है।

अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बाजार उधारी के लक्ष्य में 70 हजार करोड़ रुपए की कमी की है. साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों का विपणन करने वाले तेल कंपनियों को विदेशों से एक साल में 10 अरब डॉलर तक जुटाने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा मसाला बॉन्ड पर विदहोल्डिंग कर को फिलहाल हटा लिया गया है।

उन्होंने कहा कि राजकोषीय स्थिति को सुदृढ़ बनाए रखना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे हिसाब से राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना सबसे जरूरी प्राथमिकताओं में से एक है। आप तभी कुछ सुविधा ले सकते हैं जब आपकी राजकोषीय स्थिति मजबूत होती है।

जेटली ने कहा कि हम धीरे-धीरे राजकोषीय घाटे को 4.6% से नीचे लाए हैं और इस साल हम इसे जीडीपी के 3.3% पर लाने का लक्ष्य है। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह का राजस्व संग्रहण प्रत्यक्ष कर से हो रहा है, हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।

आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से देश के चालू खाते घाटे पर असर पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हुई 85 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई वहीं रुपया तेजी से गिरता हुआ 74 रुपए प्रति डॉलर के स्तर को छू गया है. इससे देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह पर दबाव बढ़ गया है।

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