अरावली की गोद में सूरज कुंड के पास फरीदाबाद में बसी रिहायशी कालोनी कांत एन्क्लेव ढहेगी। अरावली क्षेत्र में 18 अगस्त 1992 के बाद हुए सभी निर्माण गिराए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कांत एन्क्लेव को वन भूमि पर हुआ गैर कानूनी निर्माण करार देते हुए 31 दिसंबर तक ढहाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने हरियाणा में पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन के प्रति लापरवाह रवैये को चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रभावशाली कॉलोनाइजर और माइनिंग लॉबी ने अरावली के पर्यावरण को न भरपायी होने वाला नुकसान पहुंचाया है। यह गैरकानूनी निर्माण राज्य सरकार और उसके अधिकारियों की जानकारी और सहमति से हुआ है।
कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव को 31 दिसंबर तक आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने फरीदाबाद मे बनी हाईफाई सोसाइटी कांत एन्क्लेव के बारे में दिये। कोर्ट ने कहा कि जिस जमीन पर कांत एन्क्लेव का निर्माण हुआ है वह जमीन वन भूमि है। हरियाणा सरकार ने इस जमीन के बारे में 18 अगस्त 1992 को पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट (पीएलपी एक्ट) के तहत अधिसूचना जारी की थी और इसे वन भूमि घोषित किया गया था। आर कांत कंपनी द्वारा इस जमीन पर कराया गया निर्माण न सिर्फ अधिसूचना के खिलाफ है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के समय समय पर जारी किये गए विभिन्न आदेशों का भी उल्लंघन है।