अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद RSS विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर पहले से ही था. लिहाजा वहां राम मंदिर का ही निर्माण होना चाहिए. मस्जिद का निर्माण नहीं होना चाहिए. इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए. मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से ही इस पर बातचीत का आधार बनता है. अब इसका समाधान ढूंढ़ने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
सिन्हा ने कहा कि बाबरी मस्जिद कमेटी इस बात के कोई ठोस साक्ष्य नहीं दे पाई कि वहां पर मस्जिद था. ऐसे में वहां पर राम मंदिर का निर्माण करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. वहीं, मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा, उसको मानेंगे. इससे पहले भी कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिश हुई, लेकिन कोई कोई कामयाबी नहीं मिली.
उधर, बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि हम राम मंदिर मामले में समझौते को तैयार हैं. वहां पर राम मंदिर पहले से था. ऐसे में राम मंदिर वहीं बनना चाहिए. मस्जिद कहीं पर भी बनाई जा सकती है. सरयू नदी के पार मुसलमान मस्जिद बना सकते हैं. मुसलमान सड़क पर भी नमाज पढ़ सकते हैं. सऊदी समेत कई देशों में बिल्डिंग बनाने के लिए मस्जिद हटाए जाते हैं. मुसलमान कहीं पर भी नमाज पढ़ सकते हैं. लिहाजा मुस्लिम समुदाय इस रचनात्मक सुझाव को माने, तो अच्छा होगा. उन्होंने मामले में मध्यस्था के लिए एक न्यायाधीश की नियुक्त करने की भी मांग की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोनों पक्ष मिलकर सुलझाएं राममंदिर का मुद्दा, जरूरत पड़ी तो मध्यस्थता को तैयार
कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को सही बताया है. उन्होंने कहा कि हम कल से ही मध्यस्थता शुरू करने को तैयार हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जहां तक यूपी में बीजेपी की सरकार बनने का सवाल है, तो लोगों ने विकास के लिए वोट दिया है. इसके अलावा साधू संतों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने से राम मंदिर निर्माण में तेजी आएगी.
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