अयोध्या में राममंदिर बनने के बाद विश्व के बड़े पर्यटक स्थलों में शामिल किया जाएगा : कंसल्टेंट एजेंसी

अयोध्या : रामनगरी को विश्वस्तरीय पर्यटन नगरी बनाने की कवायद तेज हो चली है। अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने की तैयारी है। रामनगरी के ग्लोबल विकास के लिए चयनित कंसल्टेंट एजेंसी जहां अयोध्या के आधुनिक दृष्टि से विकास का खाका तैयार कर रही है वहीं हेरिटेज स्वरूप को भी संरक्षित करने की योजना है।

इसी क्रम में रामनगरी के प्राचीन मंदिरों को उनकी वास्तु शैली के अनुसार भव्यता दी जाएगी। राममंदिर बनने के बाद विश्व के बड़े पर्यटक स्थलों में अयोध्या शामिल होगी।

एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन एक लाख भक्त अयोध्या पहुंचेंगे। केंद्र व प्रदेश सरकार इस बात पर मंथन कर रही है कि किस प्रकार पर्यटकों को अयोध्या में रोका जाए जिससे राम नगरी की आर्थिक विकास भी हो सके।

रामनगरी को ग्लोबल आयाम देने के लिए कंसलटेंट एजेंसियों ने काम शुरू कर दिया है। पिछले दिनों अधिकारियों ने राममंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर विकास योजनाओं पर मंथन किया।

अयोध्या के साधु-संतों सहित ट्रस्ट के पदाधिकारियों का मानना है कि रामनगरी में पर्यटन सुविधाओं के साथ-साथ पौराणिक रूप में विकसित करने और हेरिटेज स्वरूप को सुरक्षित करने की भी तैयारी है।

इसी क्रम में दो दर्जन से अधिक प्राचीन मंदिरों को उनकी वास्तु शैली के अनुसार संरक्षित करने की योजना है। अयोध्या में कई मंदिर पौराणिक होने के साथ-साथ अपने में इतिहास भी समेटे हैं।

इन मंदिरों की पौराणिकता को नए सिरे से विकसित किया जाएगा। अयोध्या के पर्यटन अधिकारी आरपी यादव बताते हैं कि अयोध्या के प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार के 10 करोड़ का बजट बनाया गया है। शीघ्र ही इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम भी शुरू होगा।

अयोध्या हेरिटेज सिटी के मानकों पर भी खरी उतरती है। यूनेस्को ने हेरिटेज सिटी के लिए जो 10 मानक तय किए हैं। उनमें से आठ पर अयोध्या खरी पाई गई है। कनक भवन, हनुमानगढ़ी, वाल्मीकि रामायण भवन जैसे मंदिर यूनेस्को के मानकों के अनुरूप हैं। परिस्थिति तंत्र व जैव विविधता के फलक पर भी रामनगरी की अनदेखी नहीं की जा सकती है।

रामनगरी के कई मंदिरों का इतिहास दो सौ से लेकर पांच सौ साल पुराना है। हनुमानगढ़ी, छोटी देवकाली, कनक भवन, नागेश्वरनाथ, वाल्मीकि रामायण भवन, मणिपर्वत जैसे स्थल न सिर्फ रामनगरी के प्राचीनता के गवाह हैं बल्कि अपनी अद्भुत वास्तु शैली के लिए भी जाने जाते हैं।

कनकभवन- यह भवन माता कैकेयी का कनक महल था, इस स्वर्ण महल को महारानी कैकेयी ने माता जानकी को मुंह दिखाई में दिया था। यह मंदिर अद्भुत वास्तु शैली व अपनी भव्यता के लिए जाना जाता था।

हनुमानगढ़ी- यह मंदिर रामायण कालीन माना जाता है। इसे भी राजा विक्रमादित्य ने बनाया था। बाद में लखनऊ के नवाब ने इसका जीर्णोद्घार कराया। किले की तरह बने मंदिर की भी वास्तु शैली इसका आकर्षण है।

नागेश्वरनाथ :- नागेश्वरनाथ को लेकर मान्यता है कि इसे महाराज कुश ने स्थापित किया था। भूतल से मंदिर का शिखर साठ फिट ऊंचा है। प्रतिवर्ष करीब 10 लाख यात्री इस मंदिर में दर्शन-पूजन करते हैं।

मणिपर्वत:- मणिपर्वत को अयोध्या का उत्तुंग शिखर माना जाता है। यह स्थान श्री रघुनाथ जी व श्री जनक नन्दिनी जानकी जी का क्रीड़ा क्षेत्र है। इसका दूसरा उपनाम रत्नांचल है, इसकी वास्तु शैली भी लाजवाब है।

दशरथ महल:- रामकोट स्थित दशरथ महल भी भव्यता की मिसाल है। इसे भगवान श्रीराम का प्रसूति गृह माना जाता है। इसकी भव्तया, नक्काशी, वास्तु शैली इसे अयोध्या के भव्यतम मंदिरों में शामिल करती है।

वाल्मीकि रामायण भवन:- मणिरामदास की छावनी स्थित वाल्मीकि रामायण भवन में रामायण के सभी 24 हजार श्लोक अंकित हैं। यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है जहां रामायण के सभी श्लोकों को अंकित किया गया है।

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