जेनेट येलेन ने कहा कि अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बीच व्यापार पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है। पिछले साल यह 2.28 अरब डॉलर पर पहुंचा था। महामारी में गिरावट के बावजूद 2019 में इसमें 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध है, जो स्वतंत्र और खुला है। साथ ही अमेरिका अपना व्यापार भारत, वियतनाम और मैक्सिको जैसे देशों के साथ बढ़ा रहा है और चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है।
एपीईसी के मंच का करेंगी नेतृत्व
येलेन ने कहा कि वह राष्ट्रपति बाइडन के साथ कैलिफोर्निया में इस महीने के अंत में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) के मंच का नेतृत्व करेंगी। उन्होंने कहा, ‘बाइडन प्रशासन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति एक ऐसा रुख अपना रहा है, जो संबंधों को आगे बढ़ाएगा और हमारे साथ-साथ दुनिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध है जो स्वतंत्र व खुला, जुड़ा हुआ, समृद्ध, सुरक्षित और लचीला हो।’
चुनौतियों से निपटने का काम कर रहा
अमेरिका की वित्त मंत्री ने कहा कि बाइडन प्रशासन चुनौतियों से निपटने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए काम कर रहा है। इसके अलावा, आर्थिक एकीकरण को गहरा कर रहा है और तकनीकी परिवर्तन का उपयोग कर रहा है। वहीं, वित्त मंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की आर्थिक रणनीति को प्रदर्शित करने के लिए तीन प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला: व्यापार और निवेश बढ़ाना, आर्थिक लचीलेपन को मजबूत करना और वैश्विक चुनौतियों पर सहयोग करना।
अमेरिका हिंद-प्रशांत देशों व्यापार…
उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले बाइडन प्रशासन हिंद-प्रशांत देशों के साथ हमारे व्यापार और निवेश का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बीच व्यापार पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है। पिछले साल यह 2.28 अरब डॉलर पर पहुंचा था। महामारी में गिरावट के बावजूद 2019 में इसमें 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। ऑटो पार्ट्स से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक के क्षेत्रों में हमारा देश भारत और वियतनाम जैसे प्रमुख भागीदारों के साथ-साथ मैक्सिको से अधिक आयात कर रहा है और चीन पर निर्भरता कम कर रहा है।’
और कोई विकल्प भी नहीं
उन्होंने आगे कहा कि हमारे समय की तत्काल वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हिंद-प्रशांत के साथ आर्थिक जुड़ाव की आवश्यकता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील है। इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी महासागरों पर निर्भर है और प्रशांत द्वीप समूह समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण भूमि खोने की बढ़ती संभावना का सामना कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य इन चुनौतियों से निपटना है। इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है।