एलन मस्क और विवेक रामास्वामी की ओर से अत्यधिक कुशल श्रमिकों के लिए एच1बी वीजा कार्यक्रम के विस्तार की वकालत के बाद बहस छिड़ गई है। डोनाल्ड ट्रंप की टीम के अंदर इसे लेकर बड़ा विभाजन उभर कर सामने आया है। मस्क और रामास्वामी दोनों विदेशी मूल के नेता हैं और ट्रंप के सरकारी दक्षता विभाग का नेतृत्व कर रहे हैं।
मस्क ने अमेरिका की तकनीकी बढ़त को बनाए रखने के लिए टॉप इंजीनियरिंग प्रतिभाओं को आकर्षित करने के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में प्रतिभाशाली इंजीनियर की संख्या बहुत कम है। इसे एक पेशेवर खेल टीम की तरह समझें। अगर आप चाहते हैं कि आपकी टीम चैंपियनशिप जीत जाए, तो आपको टॉप प्रतिभाओं को भर्ती करना होगा, चाहे वे कहीं भी हों।
अमेरिका फर्स्ट नीति को कमजोर करने का आरोप
रामास्वामी ने मस्क की भावनाओं को दोहराया है। इसका आव्रजन पर अंकुश लगाने को प्राथमिकता देने वालों ने विरोध किया है। लारा लूमर, एन कूल्टर और मैट गेट्ज जैसे लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने अमेरिका फर्स्ट नीति को कमजोर करने का आरोप लगाया।
दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर भी बनी बहस का हिस्सा
गेट्ज ने कहा कि हमने उनसे आव्रजन नीति बनाने के लिए नहीं कहा है। बहस में दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली भी शामिल हो गई हैं। उन्होंने अमेरिकी कार्यबल में निवेश के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘यदि तकनीकी उद्योग को श्रमिकों की आवश्यकता है, तो हमारी शिक्षा प्रणाली में निवेश करें। हमें कहीं और देखने से पहले अमेरिकियों में निवेश करना चाहिए।’
H-1B वीजा पाने वालों में सबसे ज्यादा भारतीय
H-1B वीजा पाने वालों में सबसे ज्यादा 70 फीसदी भारतीय ही हैं इसलिए इसकी पॉलिसी में बदलाव करने का सबसे बड़ा असर भी भारतीयों पर ही होगा। साथ ही इतने बड़े पैमाने पर H-1B वीजा धारकों में भारतीयों का होना अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में भारतीय प्रोफेशनल्स की अहमियत को दर्शाता है। लेकिन ट्रंप के समर्थकों को यह बात रास नहीं आ रही है।