ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अमेरिका नवीनतम तकनीकों और उपकरणों के साथ भारत की रक्षा जरूरतों में मदद करने के लिए तैयार है, लेकिन रूस से एस -400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने का कदम इस सहयोग को सीमित कर देगी।
ट्रंप प्रशासन का यह बयान विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद से अमेरिका और भारत के संबंधों में गतिरोध पैदा होगा। चीन ने पिछले साल ही रूस से एस-400 (S-400 Missile Air Defence System) खरीद लिया था। इसके बाद भारत ने इस सिस्टम की खरीद के लिए रूस के साथ अक्टूबर 2018 में 40 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया था। भारत को रूस से एस-400 ट्रिंफ एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति अक्टूबर 2020 से शुरू होगी और अप्रैल 2023 तक पूरी हो जाएगी।
दुनिया का यह आधुनिकतम एयर डिफेंस सिस्टम आकाश में दुश्मन की ओर से आने वाले हर तरह के विमानों और मिसाइलों को रोककर उन्हें बर्बाद करने में सक्षम है। सिस्टम के उच्च क्षमता वाले रडार 400 किलोमीटर की दूरी से ही खतरे को भांप लेते हैं और इसके बाद मिसाइल बैटरी सक्रिय होकर आ रहे विमान या मिसाइल को नष्ट कर देती है। इससे बैलिस्टिक मिसाइलों, विमानों, क्रूज और दुश्मन के जमीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है। विदेश मंत्रालय की वरिष्ठ अधिकारी एलिस जी. वेल्स ने गुरुवार को कहा कि एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद रक्षा क्षेत्र में अमेरिका की ओर से भारत को दी जाने वाली मदद को सीमित कर सकती है। इससे पहले भी ट्रंप प्रशासन ने भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम (S-400 Missile Air Defence System) खरीदने के फैसले पर ट्रंप प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐसा करने से रक्षा संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।