जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद द्वारा इजरायल के खिलाफ पांच निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद अमेरिका ने शनिवार (24 मार्च) कहा कि उसका धैर्य अब खो रहा है और उसने फिर से इस परिषद से हटने की धमकी दी. अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने एक बयान में कहा कि इस्राइल के खिलाफ परिषदका रवैय बिल्कुल पक्षपातपूर्ण है, जबकि इस संगठनने उत्तर कोरिया, ईरान और सीरिया के खिलाफ सिर्फ तीन प्रस्ताव ही पारित किये हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा धैर्य असीमित नहीं है. आज के कदम से यह साफ हो गया है कि यह संगठन अपनी साख खो चुका है, जिसे मानव अधिकारों का सच्चा हिमायती होना चाहिए.’’
अमेरिका पिछले साल से ही लगातार इस 47 सदस्यीय परिषद से निकलने की धमकी देता आ रहा है. 2006 में इस परिषद की स्थापना दुनिया भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उसके संरक्षण के लिए की गई थी. इस परिषद में शामिल इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों ने परिषद के ‘‘एजेंडा आइटम7’’ के तहत पांच प्रस्ताव पेश किए थे, जो इजरायल के लिए चिंताजनक हैं.’’
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत ने कहा था कि इजरायल और फिलस्तीन के बीच बहुप्रतीक्षित शांति योजना का प्रस्ताव लगभग तैयार है. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के इंस्टि्टयूट ऑफ पॉलिटिक्स में आने के दौरान निक्की हेली से पश्चिम एशिया शांति प्रस्ताव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरे ख्याल से वे इसे पूरा कर रहे हैं.’’ यह खबर ऐसे समय में आई है जब पश्चिम एशिया पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दो शीर्ष राजनयिक — दामाद जारेड कुशनेर और सलाहकार जासन ग्रीनब्लट ने दो दिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के राजदूतों से मुलाकात की थी और आगामी शांति प्रस्ताव पर उनका समर्थन मांगा था.
निक्की ने यह तो नहीं बताया कि प्रस्ताव कब जारी हो सकता है, मगर उन्होंने कहा, ‘‘एक पक्ष योजना को पसंद नहीं करेगा और दूसरा पक्ष उससे घृणा नहीं करेगा, लेकिन यह बातचीत शुरू करने का एक खाका है.’’ फिलस्तीनी नेता महबूब अब्बास ने बुधवार (21 फरवरी) को आह्वान किया था कि व्यापक शांति प्रक्रिया शुरू करने के लिए 2018 के मध्य तक एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जाए, जिसमें अमेरिका की मध्यस्थता में मुख्य भूमिका नहीं हो.