दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका को हमेशा से बड़ा और खतरनाक करने की चाहत रही है। इसी ख्वाहिश के चलते उसने कई ऐसे हथियार बनाए जिन्होंने अकेले ही कई युद्ध जिता दिए। ये हथियार जिस जमाने में खोजे गए, उस समय इनके सामने आने से पहले दुश्मन की रूह कांप जाती थी। आप इन हथियारों की मारक क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अमेरिकी एटम बम ने ही जापान के हिरोशिमा-नागासाकी को बर्बाद कर दिया था। आइए जानते हैं अमेरिका के बनाए ऐसे पांच खतरनाक हथियारों के बारे में जिन्होंने दुश्मनों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया।
अमेरिकी गृहयुद्ध (American Civil War) के दौरान इस बंदूक को तैनात किया गया था। अमेरिका ने उस समय कई युद्ध इसी बंदूक के बलबूते जीते गए। यह पहली रैपिड फायर गन थी।
गैटलिंग गन को बनाया था अमेरिकी वैज्ञानिक रिचर्ड गैटलिंग ने। शुरुआती बंदूक के चारों ओर छह नाल होती थीं, जो एक मिनट में 350 गोलियां दागती थीं।
बाद में अमेरिकी सेना ने शोध करके इस बंदूक को और विकसित कर लिया। इसमें 6 की जगह 10 नाल लगाए गए, जो एक मिनट में 400 गोलियां दागती थीं।
समय बदलने के साथ-साथ गैटलिंग गन की जगह द मैग्जिम मशीन गन (The Maxim Machine Gun) ने ले ली। जिसने प्रथम विश्व युद्ध (First world war) में कहर बरपा दिया था।
परमाणु बम (Atomic Bomb)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने परमाणु बम (Atomic Bomb) विकसित किया था। 1939 की इस योजना को मैनहट्टन प्रोजेक्ट का नाम दिया गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट को यूरेनियम कमेटी ने बताया था कि यह दुनिया का सबसे खतरनाक बम है। परीक्षण के बाद उन्होंने यह भी बताया था कि अब तक ऐसी तबाही किसी बम ने नहीं की है।
द्वितीय विश्व युद्ध में जब जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हमला किया, तो अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर वही परमाणु बम गिराकर उसे तबाह कर दिया था।
इस बम को बनाया था जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने। इन्हें फादर ऑफ एटॉमिक बॉम्ब कहा जाता है। इन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एटम बम को विकसित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
प्रिसीजन गाइडेड वेपन्स (Precision-guided Weapons)
ये वो हथियार होते हैं जो पहले से तय किए गए लक्ष्य पर अचूक हमला करते हैं। 70 के दशक में अमेरिका ने ऐसे हथियारों का बेहतरीन जखीरा खड़ा कर दिया था।
उदाहरण के लिए – अमेरिका ने 1943 में 400 बी-17 बमवर्षक लॉन्च किए थे, जिन्होंने जर्मनी के बॉल-बियरिंग प्लांट्स की धज्जियां उड़ा दी थीं।
1972 के वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने लेजर गाइडेड बम बनाए और दागे। इससे अमेरिका की ताकत में बेहतरीन इजाफा हुआ।
पिछले 40 सालों में अमेरिका के प्रिसीजन गाइडेड वेपन्स ने उसे हर तरह के युद्ध में बढ़त और जीत दिलाई है। इन हथियारों का फायदा उसे अब भी मिल रहा है।
स्टेल्थ (Stealth)
स्टेल्थ यानी चुपके से। रूस ने जब 1960-70 के दशकों में जमीन से हवा में मार करने की तकनीक विकसित कर ली, तब अमेरिका ने स्टेल्थ तकनीक की खोज की।
रूस के वैज्ञानिक प्योर उफिमेत्सेव स्टेल्थ तकनीक की खोज कर ही रहे थे कि उनका फॉर्मूला अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के वैज्ञानिक डेनिस ओवरहोल्सर को मिल गया। उन्होंने उसे और विकसित करके रूस से पहले ही स्टेल्थ विमान बनाया, जिसका नाम था होपलेस डायमंड।
होपलेस डायमंड ही बाद में लॉकहीड F-117 लड़ाकू विमान में विकसित हो गया। यह 1981 में दुनिया का पहला ऑपरेशनल स्टेल्थ एयरक्राफ्ट था। बाद में बी-2, एफ-22, एफ-35 जैसे स्टेल्थ लड़ाकू विमान बनाए गए।
ये विमान राडार की पकड़ में नहीं आते। क्योंकि इनकी गति और एंटी-इंफ्रारेड तकनीक इसे राडार की नजर में आने से बचाती है।
ड्रोन्स (Drones)
जब आबे कारेम ने पहली बार जीनैट बनाया था, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि यह आगे चलकर 1990 में एमक्यू-1 प्रीडेटर नामक खतरनाक ड्रोन बनेगा, जो युद्ध की परंपरा को ही बदलकर रख देगा।
इसके बाद अगले 15 सालों में मानवरहित विमान बनाने के मामले में अमेरिका ने काफी तरक्की कर ली। एमक्यू-9सी रीपर ड्रोन बनाया गया, जो एमक्यू-1 प्रीडेटर से ज्यादा मारक और तेज था।
इसके बाद नॉर्थरोप ग्रुमेन एक्स-47बी बनाया गया। यह फाइटर जेट है जिसे पायलट नहीं उड़ाते, बल्कि रिमोट के जरिए उड़ाया जाता है। यह बेहद खतरनाक अमेरिकी ड्रोन है।
ड्रोन्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे उड़ाने के लिए किसी पायलट की जरूरत नहीं होती। ये रिमोट से चलते हैं। ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी को मारने के लिए अमेरिका ने ड्रोन का ही उपयोग किया।