अमेरिका और भारत में टकराव चरम पर, फ्रीडम हाउस ने दिया बड़ा झटका

अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक ने भारत के फ्रीडम स्कोर को डाउनग्रेड यानी कि नीचे कर दिया है. फ्रीडम हाउस की रैंकिंग में भारत पहले ‘FREE’ कैटेगरी की देशों में था, लेकिन अब भारत की रैंकिंग को अब घटाकर ‘PARTLY FREE’ कैटेगरी में डाल दिया गया है.

इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2014 से जब से भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है तब से भारत में नागरिक स्वतंत्रता का क्षरण हो रहा है. इस रिपोर्ट में राजद्रोह के केस का इस्तेमाल, मुस्लिमों पर हमले और लॉकडाउन के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों का जिक्र है.

नई रिपोर्ट में इंडिया का स्कोर 71 से घटकर 67 हो गया है. यहां 100 का स्कोर सबसे मुक्त देश के लिए रखा गया है. जबकि भारत की रैंकिंग 211 देशों में 83 से फिसलकर 88वें स्थान पर आ गई है.

फ्रीडम हाउस ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है, “हालांकि भारत में बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिन्दू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी की सरकार भेदभाव की नीतियां अपना रही हैं, इस दौरान हिंसा बढ़ी है और मुस्लिम आबादी इसका शिकार हुई है.”

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सरकार में मानवाधिकार संगठनों में दबाव बढ़ा है, लेखकों और पत्रकारों को डराया जा रहा है, कट्टरपंथ से प्रभावित होकर हमले किए जा रहे हैं, जिनमें लिंचिंग भी शामिल हैं, और इसका निशाना मुस्लिम बने हैं.

रिपोर्ट के अनुसार गैर सरकारी संगठनों, सरकार के दूसरे आलोचकों को परेशान किया जा रहा है. मुस्लिम, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिये पर पहुंच गए हैं.

इस रिपोर्ट में 67 स्कोर के साथ भारत इक्वेडोर और डोमिनिक रिपब्लिक के कतार में आ गया है. फ्रीडम हाउस ने कहा है कि इस स्कोर का मतलब यह है कि अब दुनिया की 20 परसेंट से कम आबादी ‘फ्री’ कंट्री में रहते हैं, ये 1995 के बाद सबसे कम आंकड़ा है.

फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट के अनुसार 100 स्कोर के साथ फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन दुनिया के सबसे स्वतंत्र देश हैं, जबकि 1 स्कोर के साथ तिब्बत और सीरिया दुनिया के सबसे कम स्वतंत्र देश हैं.

फ्रीडम हाउस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2020 के फरवरी महीने में दिल्ली में साम्द्रायिक और विरोध प्रदर्शन से जुड़ी हिंसा में 50 से ज्यादा लोग मारे गए, जिसमें ज्यादातर मुस्लिम थे, रिपोर्ट में कहा गया है कि ये लोग सरकार की ओर से नागरिकता कानून में किए भेदभावपूर्ण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.

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