अमृतसर में रेल हादसे के 2 वर्ष के बाद आज भी घाव भरे नहीं, पीड़ितों को न संतोषजनक मुआवजा मिला, न नौकरी

19 अक्तूबर 2018 की शाम को कोई नहीं भूल सकता। जब दशहरा दहन देख रहे लोगों को तेज रफ्तार ट्रेन ने अपनी चपेट में ले लिया था। चारों तरफ लाशों के ढेर लग गए थे, लेकिन घटना के दो साल बीत जाने के बावजूद 58 पीड़ित परिवारों को आज तक न तो कोई संतोषजनक मुआवजा मिला और न ही इंसाफ।

पिछले दो साल से उन्हें कहा जा रहा है कि उन्हें जल्द सरकारी नौकरियां दिलाई जाएंगी। परिवारों का आरोप है कि सरकार अपने वादों को लेकर उदासीनता दिखा रही है। घटना के कुछ दिन बाद ही पल्ला झाड़ने के लिए सरकार ने प्रत्येक पीड़ित परिवारों को पांच-पांच लाख मुआवजा दिया था।

रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल चंडीगढ़ में घटना के दो साल के भीतर मुआवजे के लिए केस डाला जाना था, लेकिन मामले लिप्त आरोपितों ने पीड़ित परिवारों को इंसाफ दिलाने के लिए बनी कमेटी के कुछ सदस्यों को गुमराह कर दिया। बताया जाता है कि आरोपितों  ने यह कहकर ट्रिब्यूनल में याचिका नहीं दायर करने दी कि अगर पीड़ितों को मुआवजा मिल गया तो फिर उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल पाएगी।

आठ से दस लाख तक मिलना था रेलवे से मुआवजा : कानून विशेषज्ञ

कानून विशेषज्ञ सुरिंदर कुमार सैनी ने बताया कि घटना के दो साल के भीतर रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में याचिका दायर करनी होती है। मात्र सालभर में पीड़ित परिवारों को आठ से दस लाख रुपये मुआवजा मिल जाता है। यही नहीं, हादसे में घायल हुए लोगों को भी दो से तीन लाख रुपये मुआवजा मिल सकता था, लेकिन समयावधि समाप्त होने के कारण अब पीड़ित रेलवे से मिलने वाले मुआवजे से वंचित रह जाएंगे।

जीआरपी की रिपोर्ट भी दबा दी थी आरोपितों ने

दशहरा कांड में जीआरपी ने अज्ञात आरोपितों के खिलाफ घटना वाली रात एफआइआर दर्ज कर ली थी, लेकिन लगभग डेढ़ साल चली लंबी जांच के बाद दशहरा कमेटी के आयोजक सौरव मदान उर्फ मिट्ठू मदान, कमेटी के महासचिव राहुल कल्याण, कोषा अध्यक्ष दीपक कुमार, सचिव करण भंडारी, काबल सिंह, प्रेस सचिव दीपक गुप्ता, कार्यकारी सदस्य भूपिंदर सिंह को एफआइआर में शामिल कर लिया था।

शांति व्यवस्था बिगड़ने की वजह से नहीं की थी गिरफ्तारी

जीआरपी ने 10 जुलाई को चालान पेश करते समय कोर्ट को बताया था कि उक्त आरोपित सत्ता के गलियारों तक पहुंच रखते हैं। इनका जनता में भी दबदबा है। आरोपितों को गिरफ्तार किया गया तो शहर की कानून व्यवस्था खराब हो सकती है। इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। अदालत से निवेदन किया जाता है कि आरोपितों को समन भेजकर तलब किया जाए। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है और सुनवाई 7 नवंबर है।

मजिस्ट्रेट रिपोर्ट में 23 को बताया था जिम्मेदार

जालंधर डिवीजन के मजिस्ट्रेट बी पुरुषार्थ ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्दू का करीबी व दशहरा कमेटी के अध्यक्ष सौरव मदान उर्फ मिट्ठू मदान, कमेटी के महासचिव राहुल कल्याण, करण भंडारी, काबल सिंह, दीपक गुप्ता, दीपक, भूपिंदर सिंह, एसीपी प्रभजोत सिंह विर्क, सब इंस्पेक्टर दलजीत सिंह, कमलप्रीत कौर, एएसआइ सतनाम सिंह, मोहकमपुरा थाने के मुंशी, सांझ केंद्र के इंचार्ज बलजीत सिंह, थाना प्रभारी सुखनिंदर सिंह, सब इंस्पेक्टर अवतार  सिंह, नगर निगम के अस्टेट अफसर सुशांत सिंह भाटिया, इलाका इंस्पेक्टर केवल कृष्ण, भूपिंदर सिंह, विज्ञापन विभाग के अफसर गिरीश, क्लर्क अरुण, डीएमयू के पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट, गार्ड और गेट मेन निर्मल सिंह को जिम्मेदार बताया गया था।

मानवाधिकार संगठन ने किया था रिपोर्ट को सार्वजनिक

पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट के रिटा. जस्टिस अजीत सिंह बैंस की अगुवाई में चल रहे मानवाधिकार संगठन के चीफ इनवेस्टिगेटर सरबजीत सिंह वेरका के सहयोग से मजिस्ट्रेट रिपोर्ट और जीआरपी की रिपोर्ट को सार्वजिनक किया गया था। वेरका ने आरोप लगाया था राजनीतिक प्रभाव के कारण आरोपितों ने दोनों रिपोर्ट को दबा दिया था। उन्होंने रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद पुलिस कमिश्रनर को उक्त 23 लोगों के खिलाफ शिकायत देकर मामला दर्ज करने की मांग की थी। जो आज तक नहीं किया गया।

कब-कब, क्या-क्या हुआ

19 अक्टूबर 2018 : जौड़ा फाटक स्थित धोबीघाट के दशहरा मैदान के साथ सटे ट्रेक पर रावण दहन देख रहे सौ से ज्यादा लोगों को ट्रेन ने चपेट में ले लिया था। जिसमें 58 की मौत हो गई और 70 से ज्यादा जख्मी हो गए।

19 अक्टूबर 2018 : रेल राज्यमंत्री मनोज सिंह देर रात 12.40 बजे भाजपा नेताओं के साथ देर रात को ही घटनास्थल पर पहुंच गए ओर उन्होंने रेलवे को इस बाबत क्लीन चिट दे दी।

20 अक्टूबर 2018: जीआरपी ने इस बाबत एफआईआर दर्ज की, पर इसमें किसी को भी घटना के लिए नामजद नहीं किया गया।

20 अक्टूबर 2018 : मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसकी मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए, जिसकी रिपोर्ट चार सप्ताह बाद आने की बात कही गई।

20 अक्टूबर 2018: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह घटना के 17 घंटे बाद अमृतसर पहुंचे ओर उन्होंने घटनास्थल का दौरा करने के अलावा घायलों का हालचाल पूछा।

21 अक्टूबर 2018 : तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने हादसे केे लिए  ट्रेन ड्राइवर को जिम्मेदार ठहराया।

21 अक्टूबर 2018 : रेल ट्रेक पर जुटे लोगों और पुलिस में झड़प, जिसमें लोग, पुलिस और पत्रकार घायल हुए।

21 अक्टूबर 2018: डीएमयू के लोको पायलेट अरविंद कुमार की स्टेटमेंट वायरल, जिसमें उसने कहा कि उसने हार्न बजाया, पर लोगों ने सुना नहीं। उसने ब्रेक लगाई, पर भीड़ देख गाड़ी दोबारा भगा ली।

22 अक्टूबर 2018: एडीजीपी (जीआरपी) के आदेश पर चार सदस्यों की एसआइटी (स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम) बनाई गई।

22 अक्टूबर 2018: 21 पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख की राशि की मुआवजा राशि के चेक भेंट किए गए।

24 अक्टूबर 2018 : नवजोत सिंह सिद्धू उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू व मिट्ठू पर मामला दर्ज करवाने के लिए अकाली दल व भाजपा ने मोहकमपुरा थाना घेरा।

25 अक्टूबर 2018: नगर निगम ने घोषणा की कि वह मृतकों के परिवारों को नौकरी देगा और इस बाबत सदन में प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

25 अक्टूबर 2018: जालंधर डिवीजन के कमिश्नर बी पुरुषार्थ ने मजिस्ट्रेटी जांच शुरू की और ट्रस्ट कार्यालय में 51 गवाहों और पीड़ितों के बयान कमलबंद हुए।

30 अक्टूबर 2018 : मिट्ठू मदान और उसके परिवार के बयान मैजिस्टेटरी जांच कर रहे डिवीजन कमिश्नर के समक्ष दर्ज हुए।

2 नवंबर 2018 : डा. नवजोत कौर सिद्धू के बयान हुए कलमबद्ध।

 

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