अमित शाह मिशन 2019 के मद्देनजर तकरीबन 100 दिनों के राष्ट्रव्यापी दौरे पर निकल गए हैं. इस कड़ी में त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल के बाद शुक्रवार से वह तीन दिनों के केरल दौरे पर जा रहे हैं. दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी उन राज्यों पर अधिक फोकस करना चाहती है जहां पिछली बार उसका प्रदर्शन कमजोर रहा था. इस कड़ी में केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना जैसे राज्य हैं. अमित शाह इन राज्यों में बीजेपी को मजबूत करने की कोशिशें कर रहे हैं.

इसकी एक बड़ी वजह यह है कि पिछली बार बीजेपी ने 280 से भी अधिक सीटें अधिकतर हिंदी भाषी राज्यों से जीती थीं. जानकारों के मुताबिक इस बार बीजेपी की रणनीति यह है कि यदि पार्टी को हिंदी भाषी राज्यों में सत्ता विरोधी लहर का कुछ खामियाजा भुगतना पड़ा तो वह उसकी भरपाई गैर हिंदी राज्यों में अपनी पहुंच बढ़ाकर करना चाहती है. इसीलिए अपने तीन माह के दौरे पर अमित शाह का पूरा ध्यान गैर हिंदी ऐसे राज्यों में पार्टी और संगठन को मजबूत करने का होगा जहां बीजेपी अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति में है. केरल के बाद अमित शाह तेलंगाना और लक्षद्वीप के दौरे पर जाएंगे और उसके बाद अगस्त में आंध्र प्रदेश जाएंगे.
दरअसल शाह चाहते हैं कि उत्तर-पूर्व राज्यों, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी ज्यादा सीटें जीते, लेकिन मवेशियों के कारोबार पर केंद्र सरकार की हालिया अधिसूचना का इन सभी राज्यों में जबर्दस्त विरोध किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा राज्य सरकारों ने इसे लागू न करने की बात कही है. इसी पृष्ठभूमि में अमित शाह केरल जा रहे हैं. वहां इस अधिसूचना का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है. मेघालय में बीजेपी नेताओं ने ही इसका विरोध किया है और राज्य के एक वरिष्ठ नेता ने इस अधिसूचना के विरोध में इस्तीफा भी दे दिया है. बीजेपी की सहयोगी एनपीपी ने इसका विरोध करते हुए पीएम मोदी से दखल की मांग की. जबकि तमिलनाडु में विपक्षी दल डीएमके ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है.
गौरतलब है कि इनमें कई ऐसे राज्य हैं जहां गोहत्या पर पाबंदी नहीं है और गोमांस लोगों के आहार का हिस्सा है. हालांकि बीजेपी नेताओं का मानना है कि जिस तरह से युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केरल में चौराहे पर बछड़े की हत्या की उससे हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है. बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है. इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. यही वजह है कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस घटना पर तुरंत ही प्रतिक्रिया दे दी. लेकिन यह भी सही है कि गैर हिंदी राज्यों ऐसे राज्यों में जहां बीजेपी अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहती है वहां मवेशियों के कारोबार से संबंधित अधिसूचना के बाद अमित शाह को अब ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी.
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