श्रद्धालुओं के लिए अमरनाथ पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने हाल ही में वाहनों के पहले जत्थे के यहां पहुंचने के साथ पवित्र मंदिर तक रोड कनेक्टिविटी (सड़क संपर्क) का विस्तार किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि वाहनों का पहला जत्था हाल ही में अमरनाथ पहुंचा, जो गुफा मंदिर तक कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब तक, अमरनाथ ट्रैक या अमरनाथ यात्रा या तो पैदल या जानवरों की पीठ पर करनी पड़ती थी। 2004 से मंदिर के लिए हेलिकॉप्टर सर्विस भी शुरू हो गईं। लेकिन यह पहली बार है जब यहां तक गाड़ियां पहुंच सकेंगी।
बीआरओ ने मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में बालटाल बेस कैंप के जरिए 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डुमैल से अमरनाथ गुफा तक सड़क को चौड़ा करके वह काम किया, जिसे एक कठिन काम बताया जा रहा है। पहले, यह जम्मू और कश्मीर सरकार का लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) था जो गांदरबल जिले में बालटाल मार्ग के मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार था। जबकि पहलगाम विकास प्राधिकरण (पीडीए) अनंतनाग जिले में पहलगाम मार्ग का रखरखाव करता था। इसे सितंबर 2022 में बीआरओ को सौंप दिया गया था।
अधिकारियों ने इस बात पर रोशनी डाली है कि मोटर योग्य सड़क से, भक्तों के लिए तीर्थयात्रा काफी आसान हो जाएगी। बीआरओ ने बताया, “प्रोजेक्ट बीकन अमरनाथ यात्रा ट्रैक की बहाली और सुधार में शामिल है। सीमा सड़क कर्मियों ने इस मुश्किल काम को पूरा किया और वाहनों के पहले जत्थे के पवित्र गुफा तक पहुंचने के साथ इतिहास रचा।”
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला द्वारा संभावित पर्यावरणीय प्रभाव की ओर इशारा करते हुए कुछ आलोचना भी हुई है। उन्होंने कहा, “कुछ सहजता प्रदान करना एक बात है, लेकिन इस मामले पर फिर से विचार करने की सख्त जरूरत है। ऐसी जगहों पर वाहन ले जाना उन्हें नष्ट करने के समान है। जब से यात्रा शुरू हुई है, यहां के लोग यात्रियों को अपने कंधों पर ले गए हैं और ऐसा करना जारी रखेंगे। हमारे पर्यावरण के साथ इस तरह से खिलवाड़ करना ठीक नहीं है।”
अब्दुल्ला ने सड़क की जरूरत पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “तीर्थयात्रा की शुरुआत से ही कश्मीर के लोग यात्रियों को अपनी पीठ पर ले गए हैं। हम भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।”