केंद्र की मोदी सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए कम से कम वेतन को 18 हजार से 21 हजार तक रखने की योजना बना रही है. सरकार अप्रैल माह से ये वेतन दे सकती है हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली जुलाई 2016 में संसद में भी इसकी घोषणा कर चुके हैं. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अगले महीने यानी अप्रैल से इस फैसले को मंजूरी मिल सकती है. खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से आगे बढ़कर फैसला कर सकती है.
हम आपको बताते हैं सातवें वेतन आयोग के बारे में जरूरी बातें
-वो केंद्रीय कर्मचारी जो पे लेवल 1 से 5 के बीच आते हैं उनकी कम से कम सैलरी 18 हजार से 21 हजार के बीच हो सकती है.
-नरेंद्र मोदी सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अगले महीने यानी अप्रैल में लागू कर सकती है.
-पहले ऐसी खबरें थीं कि केंद्र सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा सैलरी बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. केंद्रीय कर्मचारियों की यूनियन ने भी आरोप लगाया था कि अब तक जितने भी वेतन आयोग आए हैं उनमे सातवें वेतन आयोग ने सबसे कम सैलरी बढ़ाने की सिफारिश की है.
-सरकारी कर्मचारियों की मानें तो वेतन में करीब तीन गुना वृद्धि अच्छा है, लेकिन यह उनकी मांगों के अनुरूप नहीं है. कर्मचारी यूनियनों ने 3.68 गुना इजाफे की मांग की थी, जिससे न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए होता. मांग पर जोर देने के लिए यूनियनों ने धरना-प्रदर्शनों की योजना बनाई थी, लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के भरोसे के बाद इस योजना को अमल में नहीं लाया गया.
खबर ये भी है कि सातवें वेतन आयोग के बाद अगल वेतन आयोग नहीं आएगा और सरकार इस दिशा में काम कर रही है कि 68 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 52 लाख पेंशन धारियों के लिए एक ऐस व्यवस्था बनाई जाए 50 फीसदी से ज्यादा डीए होने पर सैलरी में ऑटोमैटिक वृद्धि हो जाए. कर्मचारियों का मानना है कि वेतन वृद्धि की मौजूदा सिफारिशों से उनके लिए सम्मानपूर्वक जीना मुश्किल होगा. अब सवाल यह है कि सातवें वेतन आयोग की यह उलझन कैसे सुलझेगी. इसके लिए फिलहाल 1 अप्रैल तक प्रतीक्षा करनी होगी.
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