New Delhi : बोफोर्स डील में घोटाले के 31 साल बाद नया खुलासा हुआ है। रिपब्लिक टीवी की इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी में स्वीडन के पूर्व चीफ इन्वेस्टिगेटर ने तीन दावे किए हैं।अभी-अभी: सामने आया सरकार का ये बड़ा प्लान बंद होगे 2000 के नोट, PM मोदी बोले- नोट जमा करके रखने वाले नहीं बचेंगे
पहला- ”राजीव गांधी बोफोर्स डील में गैरकानूनी तरीके से हो रहे पेमेंट्स के बारे में जानते थे।” दूसरा- ”राजीव गांधी ने स्वीडिश पीएम से एक फ्लाइट में पेमेंट्स के बारे में चर्चा की थी।” तीसरा- ”राजीव चाहते थे कि बोफाेर्स डील के बदले स्वीडिश पीएम भी फंड्स रिसीव करें।” चीफ इन्वेस्टीगेटर के मुताबिक, दलाली की रकम 64 करोड़ से कहीं ज्यादा थी।बता दें कि आर्मी के लिए 410 तोपें खरीदने की यह डील 1986 में हुई थी। इसमें इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोची को बड़ी दलाली दी गई थी। कांग्रेस ने हमेशा राजीव गांधी के रोल से इनकार किया है। CBI जांच के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 2004 में राजीव गांधी को क्लीन चिट दी थी।
रिपब्लिक टीवी ने पूर्व चीफ इन्वेस्टिगेटर से बातचीत के टेप रिलीज किए हैं। ये इन्वेस्टिगेटर हैं स्टेन लिंडस्टॉर्म। 71 साल के लिंडस्टॉर्म ने बताया कि जब बोफोर्स तोप घोटाले की जांच हाे रही थी तो उस वक्त व्हिसलब्लोअर्स के साथ दिक्कत यह थी कि वे किसके सामने खुलासा करें। इस इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी में जर्नलिस्ट चित्रा सुब्रमण्यम से बातचीत में स्टेन से पूछा गया कि क्या आप हमसे अब इतने साल बाद बात करके जोखिम नहीं उठा रहे हैं तो स्टेन ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मेरे बात करने पर मेरी जिंदगी को कोई खतरा है या नहीं है। लेकिन अगर आप डरपोक हैं तो (बतौर इन्वेस्टिगेटर) इस करियर का क्या मतलब है?
चित्रा ने जानेमाने जर्नलिस्ट अर्णब गोस्वामी को रिपब्लिक टीवी पर बताया- सच कभी न कभी बाहर आ ही जाता है। यह जर्नलिज्म के लिए हमारा कमिटमेंट है। हम इस खुलासे से पहले जानकारी जुटाने की काफी वक्त से कोशिश कर रहे थे।1) जांच की अहम कड़ी थे बोफोर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर
स्टेन लिंडस्टॉर्म ने इस इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी में बताया कि कैसे बोफोर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्टिन अर्ब्डो ने तब के पीएम रहे राजीव गांधी के रोल का खुलासा किया था। मार्टिन अर्ब्डो ही उस वक्त बोफोर्स केस की सबसे अहम कड़ी थे। स्टेन के मुताबिक, ”जनवरी 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पीएम थे। भारत सरकार पर यह जवाब देने का दबाव था कि बोफोर्स केस में कोई तरक्की क्यों नहीं हुई? भारत सरकार ने तब स्वीडन को लेटर ऑफ रोगेटरी (अनुरोध पत्र) भेजा था। इसमें बोफोर्स फंड्स के बारे में सवाल पूछे गए थे। ये फंड्स स्वीडन की एक जगह कार्लस्कोगा भेजे गए थे। उस वक्त मैंने अर्ब्डो से फोन पर सवाल किए थे। अर्ब्डो को कैंसर था और उनका इलाज चल रहा था।”
”2003 की गर्मियों में मार्टिन अर्ब्डो ने मुझे फोन किया। उन्हें डर था कि अगर वे स्वीडन से बाहर निकले तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वे फिनलैंड के आखिरी दौरे पर जाना चाहते थे। वे कह रहे थे कि क्या मेरे खिलाफ वॉरंट हटाया जा सकता है। तब मैंने कहा कि भारत के कहने पर इंटरपोल ने वॉरंट जारी किया है, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता।”
”बातचीत के दौरान मैंने उनसे उस डायरी के बारे में पूछा जो जांच के दौरान सामने आई थी और जिस वजह से भारत में सरकार गिरी थी। …बातचीत से लग रहा था कि मार्टिन अर्ब्डो पर यह दबाव है कि वे कुछ भी नया खुलासा न करें।”
2) पहली बार राजीव गांधी के रोल का खुलासा किया
स्टेन लिंडस्टॉर्म के मुताबिक, ”1986 में अर्ब्डो फ्लाइट से भारत से लौट रहे थे। उस फ्लाइट में ओलाफ पाल्मे (तब के स्वीडिश पीएम) और राजीव गांधी थे। राजीव चाहते थे कि बोफोर्स के फंड्स ओलााफ को उन्हीं के इस्तेमाल के लिए मिलें। ओलाफ ने सुझाव दिए कि कुछ फंड्स बोफोर्स के नाम से इंडस्ट्री के डेवलपमेंट के लिए बनी एक फाउंडेशन के लिए दिए जाने चाहिए। अर्ब्डो ने बताया कि 50 मिलियन स्वीडिश क्रोनर इस फंड्स के तहत दिए जाएंगे। लेकिन इस पैसे के लिए नया फाउंडेशन बनाया गया।”
”हमारी जांच का मकसद यह था कि यह पैसा कहां से कहां गया, इससे किसको फायदा मिला। यह पता चला कि 50 मिलियन में से 30 मिलियन स्वीडिश क्रोनर का इस्तेमाल कुछ फैक्ट्रीज और वर्कशॉप्स की मदद में किया गया। लेकिन ये सब फाउंडेशन को दिए गए पैसे की आड़ में किया गया।”
बता दें कि जब राजीव गांधी और पाल्मे के बीच फ्लाइट में बातचीत हो रही थी, तो मार्टिन अर्ब्डो पास ही मौजूद थे। स्टेन ने अर्ब्डो के हवाले से बताया, ”राजीव गांधी को भरोसा दिलाया गया था कि पैसे का इस्तेमाल स्वीडिश सोर्सेस के लिए होगा। पेमेंट के लिए फाउंडेशन जून 1986 में फाउंडेशन बनाया गया। इसी को 50 मिलियन स्वीडिश क्रोनर दिए गए। बोफोर्स के लिए क्रॉन्ट्रैक्ट साइन होने के तीन महीने बाद यह फाउंडेशन बना था।”
3) 64 करोड़ से ज्यादा थी दलाली की रकम
– स्टेन के मुताबिक, “मुझे लगता है कि स्वीडन के ऑफिशियल्स, पीएम को पेमेंट के बारे में पता था। दलाली की रकम 64 करोड़ से कहीं ज्यादा बड़ी थी। मैं 30 साल तक इस पर काम करता रहा लेकिन जांच के लिए अंत तक नहीं जा पाया।”
– “सच भारत में ही डिब्बाबंद है। तह तक जाएं, आपको सच का पता लग जाएगा।”
क्या था बोफोर्स घोटाला?
बोफोर्स तोप घोटाले को आजाद भारत के बाद सबसे बड़ा मल्टीनेशनल स्कैम माना जाता है। 1986 में हथियार बनाने वाली स्वीडन की कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को 155mm की 400 तोपें सप्लाई करने का सौदा किया था। यह डील 1.3 अरब डाॅलर (डॉलर के मौजूदा रेट से करीब 8380 करोड़ रुपए) की थी। 1987 में यह बात सामने आई थी कि यह डील हासिल करने के लिए भारत में 64 करोड़ रुपए दलाली दी गई। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।
– स्वीडिश रेडियो ने सबसे पहले 16 अप्रैल 1987 में दलाली का खुलासा किया। इसे ही बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स कांड के नाम से जाना जाता है। इसी घोटाले के चलते 1989 में राजीव गांधी की सरकार गिर गई थी। आेलाफ पाल्मे की बाद में हत्या हो गई थी।
दलाली में किसका रोल था?
आरोप था कि राजीव गांधी परिवार के नजदीकी बताए जाने वाले इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोची ने इस मामले में बिचौलिए की भूमिका अदा की। इसके बदले में उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। दलाली देने के लिए एक मुखौटा कंपनी ए.ई. सर्विसेस बनाई गई थी। क्वात्रोची की 2013 में मौत हो गई थी। 1997 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। जांच पूरी होने में 18 साल लगे, जिस पर 250 करोड़ रुपए खर्च हुए। सीबीआई जांच पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने राजीव गांधी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी।
कौन हैं स्टेन?
स्टेन लिंडस्टॉर्म स्वीडन इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट के चीफ थे और बोफोर्स घोटाले में चीफ इन्वेस्टिगेटर थे। स्वीडिश रेडिया ने तब स्टेन का इंटरव्यू किया था। स्टेन के पास 350 डॉक्युमेंट्स थे। इनमें बैंक्स को दलाली के पेमेंट के इंस्ट्रक्शंस, हैंडरिटन नोट्स, मिनिट्स ऑफ मीटिंग्स और बोफोर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्टिन अर्ब्डो की डायरी शामिल थी।
कौन हैं चित्रा सुब्रमण्यम?
चित्रा इंडियन जर्नलिस्ट हैं। उन्होंने ‘द हिंदू’ में अपनी खबरों में बोफोर्स-इंडिया होवित्जर डील (बोफोर्स कांड) का खुलासा किया था कि इस सौदे में 64 करोड़ रूपए की दलाली दी गई थी। चित्रा ऑनलाइन न्यूज वेबसाइट The News Minute की को-फाउंडर और मैनेजिंग एडिटर हैं। वे रिपब्लिक टीवी के साथ काम कर रही हैं। चित्रा को जर्नलिज्म के लिए बीडी गोयनका और चमेली देवी अवॉर्ड मिल चुका है।