गोरखपुर : पिछले दिनों गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में हुई बच्चों की मौत के मामले में जाँच रिपोर्ट आने के बाद योगी सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए जहाँ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनीता भटनागर की छुट्टी करने के साथ ही मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल राजीव मिश्र और डॉक्टर कफील खान सहित छह लोगों पर मुक़दमा दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं.अभी-अभी: कश्मीर के हंदवाड़ा में सेना आतंकवादियों के बीच मुठभेड़, आतंकवादी हुए ढेर…
गौरतलब है कि सीएम योगी ने यह कड़ी कार्रवाई बच्चों की मौत से जुड़ी जांच रिपोर्ट के आधार पर की है. आरोपियों के विरुद्ध लखनऊ के हजरतगंज थाने में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं. मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला और ऑक्सीजन सप्लाई एजेंसी पुष्पा सेल्स के अलावा एक अकाउंटेंट के खिलाफ भी लापरवाही का. वहीं अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ रहे डॉक्टर कफील खान के खिलाफ भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है.
उल्लेखनीय है कि इस जांच रिपोर्ट में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने को माना , लेकिन स्टोर में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं थी. रिपोर्ट के अनुसार बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी. लेकिन इस रिपोर्ट के विरोधाभासी होने से कुछ सवाल उठ रहे हैं .
पहला यह कि अगर बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई तो ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गई है? दूसरा यह कि अगर अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं थी तो ऑक्सीजन की सप्लाई क्यों रुकी और तीसरा यह कि रिपोर्ट में अगर ऑक्सीजन सप्लाई रुकने की बात स्वीकार की गई है, तो यह क्यों कहा जा रहा है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई ?