अभी-अभी: आतंकी जुनैद ने किए कई बड़े खुलासे, कहा- कोड भाषा में करते थे बात

अभी-अभी: आतंकी जुनैद ने किए कई बड़े खुलासे, कहा- कोड भाषा में करते थे बात

सूरत की तरह कहीं समय या फिर घड़ियों में कोई हेरफेर न हो जाए, जिसके चलते कहीं बम आतंकियों के शरीर पर ही न फट जाए। इससे बचने के लिए दिल्ली धमाकों के सभी आरोपी एक ही कंपनी की और एक जैसी घड़ी पहनते थे।अभी-अभी: आतंकी जुनैद ने किए कई बड़े खुलासे, कहा- कोड भाषा में करते थे बात
इन घड़ियों में एक साथ टाइम सेट किया गया था। ये खुलासा दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में मौजूद आतंकी आरिज खान उर्फ जुनैद उर्फ सलीम सर ने किया है। उसने कहा कि सूरत में बम रखने में कई गलतियां हो गई थीं। कई बम फटे नहीं थे।

गौरतलब है कि बटला हाउस एनकाउंटर के बाद दक्षिण जिला पुलिस ने संगम विहार स्थित शकील के घर से कुल नौ घड़ियां बरामद की गईं थीं। गुजरात से भी इस तरह की घड़ियां बरामद हुईं थीं।

क्या है ‘फ्लाइट’ का मतलब

स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली, जयपुर, यूपी कोर्ट बम धमाके और गुजरात में बम धमाकों को अंजाम देने वाले आतिफ अमीन माड्यूल के आतंकी कोड भाषा में बात करते थे।

जुनैद ने पूछताछ में बताया है कि धमाकों के लिए जब ये आरोपी चलते थे तो ये एक से दो के ग्रुप में निकलते थे। ग्रुप को फ्लाइट के नाम से पुकारते थे। आतंकी कहते थे कि ‘पहली फ्लाइट, दूसरी फ्लाइट’ जा चुकी है। यह कोड भाषा के इतने आदि हो गए थे कि आतिफ मोड्यूल के किसी भी सदस्य ने बम का शब्द कभी अपने मुंह से नहीं निकाला था।

दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार बम प्लांट करने के लिए सभी आरोपियों ने एक ही कंपनी की घड़ियां अपने हाथ में पहनी थीं। इन घड़ियों में बम धमाकों के लिए 6 बजकर 10 से 15 मिनट का समय तय किया गया था।

पालिका बाजार से खरीदी थीं

जुनैद ने बताया कि ये घड़ियां पालिका बाजार, दिल्ली से खरीदी गई थीं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार ये आतंकी कोड भाषा में बात करते थे। जब यह बम प्लांट करने के लिए बटला हाउस से चले थे उस समय कोड भाषा में बात की।

यहां से नौ टीमें निकली थी और हर टीम में एक से दो सदस्य शामिल थे। गफ्फार मार्केट में बम रखने शकील अकेला गया था। इस समय उनकी यह भाषा थी कि पहली टीम घर से निकल गई है यानी पहली फ्लाइट चली गई है।

 इस तरह हर टीम को एक नंबर दिया गया था। इसके अलावा बम रखने व तैयार करने के लिए उन्होंने कोड भाषा का प्रयोग किया था। यह बम रखने की जगह को लाइब्रेरी, कूड़ेदान को रैक व बम को बुक बोलते थे।

इसके अलावा किताब पढ ली है यानी रेकी कर ली है। किताब में नौ पेज है यानी नौ जगह बम रखने हैं। किताब बन गई है यानी बम बन गया है। किताब पहुंचा दी है यानी बम जगह पर रख दिया है। 

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