अब हिंदी और प्रादेशिक भाषाओं में पढ़ें फैसले, सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले अब आप हिंदी और कुछ प्रादेशिक भाषाओं में भी पढ़ पाएंगे। कोर्ट की वेबसाइट पर हिन्दी सहित नौ भाषाओं में अनुवादित फैसले गुरुवार से ही अपलोड होने शुरू हो गए। हिंदी या प्रादेशिक भाषा में फैसले पढ़ने के लिए सबसे पहले आपको सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। इसके बाद वेबसाइट पर जज़मेंट के बगल में एक अलग आईकन उपलब्ध है, जिसमें Vernacular Judgment यानि प्रादेशिक भाषा में फैसले लिखा मिलेगा। इसे क्लिक करने पर हिन्दी और अन्य भाषाओं मे जज़मेंट दिखेंगे।

सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च अदालत है और इसका फैसला अंतिम होता है। अब तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले अंग्रेजी में ही उपलब्ध होते थे, जिसके कारण अंग्रेजी न जानने वाले मुवक्किलों के लिए अपने मुकदमें का फैसला समझना मुश्किल होता है और वे इसके लिए वकीलों पर निर्भर होते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब लोग अपने मुकदमें का फैसला अपनी भाषा में पढ़ और समझ पाएंगे।

जिन छह भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसले उपलब्ध होंगे वे हैं हिंदी, तेलगू, असमिया, कन्नड़, मराठी, और उडि़या। अंग्रेजी का फैसला आने के बाद हिंदी व अन्य भाषाओं में वही फैसला उपलब्ध होने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा। गत वर्ष राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की प्रति हिंदी सहित अन्य भाषाओं में उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया था। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पद ग्रहण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट हिंदी सहित अन्य प्रादेशिक भाषाओं में भी फैसले उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है, ताकि अंग्रेजी न जानने वाले लोगों को अपने मुकदमें का फैसला समझने के लिए वकील पर निर्भर न रहना पड़े।

मुख्य न्यायाधीश ने उस समय कहा था कि कई बार फैसला ऐसा आता है, जिसमें व्यक्ति की सारी जमीन जायदाद चली जाती है, लेकिन अपनी भाषा में फैसला उपलब्ध न होने के कारण व्यक्ति जीवन बदलने वाले उस फैसले को पढ़ और समझ भी नहीं पाता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट फैसलों को हिंदी व अन्य प्रादेशिक भाषाओं में उपलब्ध करा रहा है।

हिन्दी व अन्य प्रादेशिक भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराना सिर्फ इन छह भाषाओं तक सीमित नहीं है। धीरे-धीरे करके सभी भाषाओं में फैसले की प्रति उपलब्ध कराने का प्रयास होगा, लेकिन अभी फिलहाल पहले चरण में छह भाषाओं में फैसले उपलब्ध होंगे। शुरुआत में जमीन जायदाद या लोगों के व्यक्तिगत मुकदमों से जुड़े फैसलों को इन भाषाओं में उपलब्ध कराने की प्राथमिकता होगी।

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