15 मई को शनि जयंती है। हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को भगवान शनि की जयंती मनाई जाती है। शनि जिस जातक के कुंडली में अशुभ स्थिति में होते हैं उसको कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ अगर शनि शुभ स्थिति में हो तो उस जातक को अपार सफलताएं मिलती है। ऐसे कई लोग होते हैं जिनको अपनी जन्मतिथि के बारे में ठीक से पता नहीं होता है। ऐसी स्थिति में कुछ संकेत होते हैं, जिसको देखकर मालूम किया जा सकता है कि शनि आपके के लिए शुभ स्थिति में हैं या अशुभ
शनि के शुभ फल के पहला संकेत
शनि के आपके लिए अनुकूल होने पर लोहा, चमड़ा, तेल, पत्थर, लकड़ी और खदान सम्बन्धी कामों में लाभ मिलने लगता है।
शनि के शुभ फल के दूसरा संकेत
जो व्यक्ति अपने स्वभाव से शांत और न्यायप्रिय होता है, शनिदेव ऐसे व्यक्तियों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। शनिदेव न्याय के देवता हैं। इन्हें किसी भी प्रकार का अत्याचार करना या सहन करना पसंद नहीं होता है।
शनि के शुभ फल का तीसरा संकेत
शनि के अनुकूल होने पर वह व्यक्ति राजनीति और समाज में उच्चपद और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
शनि के शुभ फल का चौथा संकेत
शनि बहुत ही धीमी चाल से चलते हैं, इसलिए शनि के अनुकूल होने पर व्यक्ति जो भी काम करता है उसमें उसे स्थायित्व प्राप्त होता है।
शनि के शुभ फल का पांचवां संकेत
शनि कमजोर और असहायों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शनि के अनुकूल होने पर व्यक्ति को कमजोर लोगों का सहयोग और समर्थन प्राप्त होता है।
शनि के अशुभ फल का पहला संकेत
शनि के प्रतिकूल होने पर व्यक्ति के स्वभाव में आलस्य और काम के टालने की आदत होने लगती है।
शनि के अशुभ फल का दूसरा संकेत
शनि के अशुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति के मकान बनाने के साथ ही उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं।
शनि के अशुभ फल का तीसरा संकेत
जिस व्यक्ति का शनि प्रतिकूल होता है उसके विवाह होते ही उसके ससुराल पक्ष की आर्थिक स्थिति खराब होने लगती है।
शनि के अशुभ फल का चौथा संकेत
शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति को काम में रुकावटें आनी शुरू होने लगती है। बना-बनाया हुआ काम भी अंतिम समय में बिगड़ जाता है।
शनि के अशुभ फल का पांचवां संकेत
शनि के अशुभ प्रभाव पड़ते ही व्यक्ति चिड़चिड़ा स्वभाव का हो जाता है। इनके बाल, नाखून और दाढ़ी हमेशा बढ़े हुए होते हैं।