नई दिल्ली। भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत के लिए वर्ष 1991 को महत्वपूर्ण माना जाता है। कांग्रेस की अगुवाई वाली नरसिम्हाराव की सरकार ने वैश्वीकरण और उदारीकरण की शुरुआत की थी। 25 साल बाद वर्ष 2016 को ऐतिहासिक बताया जा रहा है जब जीएसटी बिल को राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। जीएसटी बिल के लागू हो जाने के बाद अनेकों तरह के अप्रत्यक्ष कर से राहत मिलेगी और पूरा भारत एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा।
जीएसटी बिल पारित होना पीएम मोदी के लिए अहम कामयाबी
जीएसटी बिल पारित होने को विदेशी मीडिया ने पीएम मोदी के लिए अहम कामयाबी बताया। विदेशी मीडिया के मुताबिक आर्थिक सुधारों की राह में एक बड़ी अड़चन को काबू पाने में मोदी ने जिस तरह से राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है, वो काबिलेतारीफ है।
एचएसबीसी के एक बडे़ अधिकारी का कहना है कि जीएसटी बिल मोदी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर था। इस बिल के पारित हो जाने के बाद भारत में आर्थिक सुधारों को गति मिलेगी। अप्रत्यक्ष करों के जाल में फंसी भारतीय अर्थव्यवस्था मुक्त हो चुकी है। यस बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कहना है कि इस बिल के पारित होने के बाद इस धारणा को बल मिला है कि दुनिया भारत में भरोसा कर सकती है। आर्थिक सुधारों की दिशा में राजनीतिक दल संजीदा हैं।
यूरेशिया समुह के जानकारों का कहना है कि इस बिल के पारित होने से तात्कालिक तौर पर फायदा नहीं मिलेगा। इसके लिए राज्यों को भी आगे आना पड़ेगा। लेकिन इसे ऐतिहासिक मानने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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