अब चलेंगे इशारों पर – जगमीत बराड़ का नया सियासी पैंतरा …..

श्री मुक्तसर साहिब,कहते हैं राजनीति में कोई न तो स्‍थायी दोस्‍त होता है और न दुश्‍मन। ऐसा ही एक उदाहरण पंजाब की राजन‍ीति में मिलने जा रहा है। किसी समय राजनीति में बुलंदियां छूने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद जगमीत सिंह बराड़ अब शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में शामिल होने की तैयारी में हैं। बादल परिवार के धुर विरोधियों में शुमार रहे बराड़ कभी सुखबीर सिंह बादल को हराकर कांग्रेस के हीरो बने व चर्चाओं में आए थे और अब उनके (सुखबीर बादल) के इशारे पर सियासत करेंगे।

 

 

बराड़ के पार्टी में शामिल होने की शिअद नेता पुष्टि तो कर रहे हैं, लेकिन खुल कर नहीं बोले रहे। उनका कहना है कि यह तो क्लीयर है कि वह हमारे साथ आ रहे हैं, दूसरी ओर इस बारे में पूछे जाने पर जगमीत सिंह बराड़ टाल रहे हैं और बार-बार बैठक में होने का बहाना कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जगमीत बराड़ की सुखबीर बादल के साथ बैठक हो चुकी है, जिसमें उनके शिअद में शामिल होने पर सहमति हो चुकी है।

जगमीत सिंह बराड़ का राजनीतिक जीवन उथल-पुथल वाला रहा है। वह 1998 में शिअद के पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ चुनाव लड़े थे और हार गए थे। 1999 में उन्होंने फरीदकोट लोकसभा हलके से शिअद की सरकार होते हुए सुखबीर बादल को हरा दिया था। इसके बाद वह कांग्रेस में हीरो बन कर उभरे थे।

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ की पुत्रवधू व पूर्व विधायक करण कौर बराड़ का कहना है कि जगमीत बराड़ तो आए ही अकाली दल से थे। अब तो वह वापस अपने घर जा रहे हैं। कांग्रेस ने उन्हें फरीदकोट से एक बार टिकट देनी चाही थी, लेकिन वह भाग गए थे। हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

अपने घर पर ही थामेंगे शिअद का दामन

जगमीत सिंह बराड़ अपने घर पर ही शिअद का दामन थामने जा रहे हैं। 19 अप्रैल को पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल मुक्तसर हलके का दौरा करने आ रहे हैं। इस दौरान वह सबसे पहले गांव चड़ेवान में जगमीत सिंह बराड़ के घर पर जाएंगे। वहीं बराड़ के शिअद में शामिल होने की घोषणा होगी।

सियासी करियर

-1992 में 10वीं लोकसभा व 1999 में 13वीं लोकसभा के सदस्य रहे।

-1979-80 में तत्कालीन अकाली सरकार के खिलाफ आंदेलन के कारण जेल में गए। ।

-बराड़ 1979 में कांग्रेस में शामिल हुए। 1984 से 1989 तक ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस के महासचिव रहे।

-1995 से लेकर 2004 तक ऑल इंडिया कांग्रेस समिति के सचिव रहे।

-2013 तक पांच वर्ष कांग्रेस के विशेष आमंत्रित सदस्य और चार वर्ष तक स्थायी सदस्य रहे।

आवाज-ए-पंजाब

फरीदकोट का सांसद रहते हुए बराड़ ने पंजाब के कई अहम मुद्दों पर लोकसभा में आवाज उठाई। इसीलिए उन्हें आवाज-ए-पंजाब के नाम से भी पहचाना जाता रहा।

समर्थकों के साथ कर रहे बैठक

शिअद में शामिल होने से पहले बराड़ अपने समर्थकों के साथ मुक्तसर और उसके आसपास के इलाकों में बैठकें कर रहे हैं। उनक करीबियों का कहना है कि इसके बाद वह शिअद में शामिल होने के बारे में फैसला करेंगे। बताया जाता है कि बराड़ की मंशा फिरोजपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की भी है।

बादल परिवार पर खुलकर हमला करते रहे हैं बराड़, सुखबीर के खिलाफ तीन बार लड़े चुनाव व एक बार जीते

जगमीत बराड़ शिअद के साथ-साथ बादल परिवार के कटु आलोचक रहे हैं। वह सुखबीर बादल के खिलाफ तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें से एक बार ही उन्हें जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा वह फिरोजपुर से भी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए।

बदलेंगे पंजाब में सियासी समीकरण

जगमीत बराड़ का शिअद में शामिल होना पंजाब की राजनीति में किसी बड़े धमाके से कम नहीं होगा। बराड़ लंबे समय से बादल परिवार पर जमकर हमले करते रहे हैं। वह बहिबलकलां गोलीकांड व श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के लिए भी बादल परिवार को दोषी ठहराते रहे हैं। वह बहिबलकलां गोलीकांड के लिए छह माह तक चले सिख संगठनों के धरने में भी बढ़-चढ़कर शामिल होते रहे।

सोनिया-राहुल पर टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने पार्टी से किया था पार्टी से बाहर

लंबे समय तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 के चुनाव में मिली हार को देखते हुए उन्होंने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखी टिप्पणी की, जिस कारण उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बाद में उनको 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में वापस ले लिया गया। लेकिन, इसके बाद वह फिर विवादित बयान देने लगे और इस बार तो कैप्‍टन अमरिंदर सिंह काे भी निशाने पर ले लिया। इसके बाद उनको फिर कांग्रेस से निकाल दिया गया।

ममता बनर्जी की टीएमसी मेें शामिल हुआ और फिर उसे भी छोड़ा

उसके बाद वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, लेकिन इस साल जनवरी में उन्होंने उसे भी अलविदा कह दिया। 2014 के चुनाव में उन्होंने भाजपा में भी जाने के संकेत दिए थे, लेकिन भाजपा ने अकाली दल के साथ गठजोड़ को देखते हुए बादल परिवार के अति आलोचक माने जाने वाले जगमीत बराड़ को पार्टी में नहीं लिया।

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