अमेरिका हर देश के आंतरिक मामले में दखल देने की कोशिश करता है. इन दिनों वेनेजुएला के आंतरिक मामलों में अमेरिका की दखलअंदाजी देखने को मिल रही है. दुनिया के देशों पर अमेरिका की दादागिरी की खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं.

इसी के तहत भारत और वेनेजुएला के रिश्ते से अमेरिका खफा था. लेकिन अब अमेरिका खुद वेनेजुएला के लिए फंड जुटाने की तैयारी में लगा है. आइए समझते हैं अमेरिका की इस दादागिरी को.
दरअसल, अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन ने कहा है कि वेनेजुएला में नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद व्यापार को पटरी पर लाने में मदद के लिए हम कुछ देशों के साथ मिलकर 10 अरब डॉलर का फंड बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
न्यूचिन के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की बैठकों के दौरान अधिकारियों ने वेनेजुएला की मदद के उपायों पर चर्चा की. अमेरिकी वित्त मंत्री ने वेनेजुएला के मित्र देशों के साथ बैठक की है.
अमेरिका उन देशों के साथ है जो वेनेजुएला के विपक्ष के नेता जुआन गुआदियो को अंतरिम राष्ट्रपति मान रहा है. हालांकि समस्याओं में घिरे राष्ट्रपति निकोलस मादुरो सत्ता में बने हुए हैं. निकोलस मादुरो को अमेरिका सत्ता से बेदखल करना चाहता है. यही वजह है कि वह वेनेजुएला की निकोलस मादुरो सरकार को अलग-थलग करने में जुटा था.
यही नहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारत और वेनेजुएला के बीच कारोबारी रिश्तों पर भी सवाल खड़े किए थे. अमेरिका चाहता था कि वेनेजुएला से आने वाले कच्चे तेल का भारत बहिष्कार करे.
पॉम्पियो ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है, जिस तरह भारत ने ईरान में हमारे प्रयासों को सहयोग किया उसी तरह वह वेनेजुएला के लोगों के सामने आए वास्तविक संकट को भी समझेगा. इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी भारत को चेताया था कि अगर वह वेनेजुएला से तेल खरीदता है तो उसे याद रखा जाएगा.
बता दें कि भारत, वेनेजुएला के तेल का एक प्रमुख आयातक है. इसके लिए वह नकद भुगतान करता है. साल 2017-18 में भारत ने वेनेजुएला से 1.15 करोड़ टन तेल का आयात किया था, जो इसका चौथा सबसे बड़ा स्रोत है. बीते दिनों वेनेजुएला ने भारत में कच्चे तेल की बिक्री बढ़ाने की इच्छा जाहिर की थी.
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