भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार कोकराझार पहुंचे. यहां स्थानीय परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया और समझौते के लिए धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया.
यहां सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस जगह से मेरा पुराना रिश्ता, लेकिन आज जो उत्साह देखने को मिला है वैसा कभी नहीं मिला.
कोकराझार की सभा में पीएम ने कहा कि ये इतिहास की सबसे ऐतिहासिक रैली होगी. कभी-कभी लोग डंडा मारने की बात करते हैं लेकिन मुझे करोड़ों माताओं-बहनों का कवच मिला हुआ है.
आज का दिन शहीदों को याद करने का है, जिन्होंने देश के लिए बलिदान का है. बोडो समझौते पर प्रधानमंत्री बोले कि आज का दिन स्थानीय लोगों के जश्न का है, क्योंकि समझौते से स्थाई शांति का रास्ता निकला है.
सभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है, अब किसी का खून नहीं गिरेगा. हिंसा को लेकर पीएम ने कहा कि दशकों तक यहां गोलियां चलती रहीं, लेकिन अब एक शांति का नया रास्ता खुला है. नॉर्थईस्ट में अब शांति का नया अध्याय जुड़ना ऐतिहासिक है.
नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ असम और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंसा हुई थी, पीएम इससे पहले अपने दो दौरे टाल चुके हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए कोकराझार तैयार है. पूरे शहर में मानो उत्सव का माहौल है. बीती रात असम का ये शहर लाखों दीये से ऐसे रौशन हुआ, मानो दीवाली आ गई हो. पीएम मोदी बोडो समझौते की खुशी में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने कोकराझार आ रहे हैं. पीएम के स्वागत में जगह-जगह बड़े बैनर लगाए गए हैं.
असम के विभिन्य जनजाति समूहों के कलाकार पीएम के स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप देते नजर आए.
गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में 27 जनवरी को बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था. समझौते के दो दिन के भीतर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के अलग-अलग गुटों के करीब 1615 उग्रवादी अपने हथियार डाल कर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं. समझौते के तहत क्षेत्र के विकास के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज रखा गया है.
नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद ये प्रधानमंत्री का पूर्वोत्तर का ये पहला दौरा है. गौरतलब है कि दिसंबर में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ पीएम मोदी गुवाहाटी में शिखर सम्मेलन करने वाले थे, लेकिन सीएए विरोधी आंदोलनों की वजह से पीएम का दौरा रद्द हो गया था.