भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में कड़ी मेहनत और चुनौतीपूर्ण परीक्षा पास करने के बाद ही कोई अधिकारी बन पाता है। प्रांतीय सेवा में लंबा अरसे तक काम करने वाले अधिकारियों को आइएएस अधिकारियों के रूप में प्रोन्नति मिलती है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन दोनों सेवाओं के अलावा अन्य सरकारी सेवाओं के अधिकारी भी आइएएस बन सकते हैं।
जी हां, ऐसा हो सकता है। आइएएस भर्ती नियम के बिंदु 8 (2) में यह प्रविधान है। बशर्ते आवेदक का सर्विस रिकॉर्ड बेहद उत्कृष्ट हो और सरकार की मंशा ऐसे अधिकारी को आइएएस बनाने की हो। अन्य राज्यों में कई अधिकारी इस तरह आइएएस बन चुके हैं, हालांकि उत्तराखंड में अभी तक अन्य सेवाओं में से कोई भी अधिकारी आइएएस नहीं बन पाया है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा, अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा और फिर साक्षात्कार का सफलतापूर्वक सामना करने के बाद एक आवेदक आइएएस अधिकारी बनता है। परीक्षा में चयनित अधिकारियों का आवंटन राज्यों को कर दिया जाता है। लंबे समय तक पीसीएस के रूप में सेवा देने वाले अधिकारी सेवानिवृत्ति से पहले एक बार आइएएस कैडर पाने का सपना देखते हैं।
अभी तक प्रदेश में यही दो सेवाएं हैं, जिनके जरिये एक अधिकारी आइएएस के रूप में काम कर सकता है। हालांकि, आइएएस नियमावली में एक प्रविधान ऐसा भी है जिसके तहत अन्य सेवाओं के राजपत्रित अधिकारी भी आइएएस बन सकते हैं। ऐसा राज्य सरकार की मर्जी पर ही हो सकता है।
यदि सरकार को लगता है कि कोई राजपत्रित अधिकारी ऐसा है तो बेहद उत्कृष्ट कार्य करता है और आइएएस के रूप में वह प्रदेश में और बेहतर सेवा दे सकता है तो वह उसका नाम आइएएस अधिकारी बनाने के लिए केंद्र को भेज सकती है। इसके लिए संबंधित अधिकारी को पहले शासन को अनुरोध करना होगा। इसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति उसके दस्तावेज और कार्य का परीक्षण करेगी।
फिर यह मामला मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा, जहां से अनुमोदन मिलने के बाद यह मामला केंद्र को भेजा जाएगा। अंतिम निर्णय केंद्र द्वारा लिया जाएगा। उत्तराखंड में केवल एक बार एक मामला केंद्र तक पहुंचा था लेकिन वहां से इसे वापस भेज दिया गया था।
अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी का कहना है कि इस तरह का प्रविधान है। पात्रता रखने वाले को इसके लिए शासन को आवेदन करना होगा। इसके बाद ही तमाम औपचारिकताओं के बाद इस पर आगे कार्रवाई की जाती है।