ज्योतिषों की माने तो बजरंगबली जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था. कहते हैं हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थी. वहीँ हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते है. ऐसे में राजस्थान के सालासर व मेहंदीपुर धाम में इनके विशाल एवं भव्य मन्दिर हैं जहाँ बड़ी धूम-धाम से इनकी पूजा की जाती है. आइए जानते हैं किऐसे हुआ था हनुमान जी का जन्म.

पुंजिकस्थली यानी माता अंजनी – पुंजिकस्थली देवराज इन्द्र की सभा में एक अप्सरा थीं. एक बार जब दुर्वासा ऋषि इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं. इससे गुस्सा होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें वानरी हो जाने का शाप दे दिया. पुंजिकस्थली ने क्षमा मांगी, तो ऋषि ने इच्छानुसार रूप धारण करने का वर भी दिया. कुछ वर्षों बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया. उनका नाम अंजनी रखा गया. विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री का विवाह महान पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से कर दिया. इस रूप में पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं.
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