मुकेश अंबानी के घर के पास मुंबई के व्यापारी मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियों में विस्फोटक मिलने और उनकी मौत के बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में तेजी से हलचल हो रही है। महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल तब और बढ़ गई जब मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे की संलिप्तता सामने आई। इसी उथल-पुथल के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख नेता शरद पवार और महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के बीच बृहस्पतिवार को हुई बैठक की खबर सामने आई।
वहीं मुंबई पुलिस आयुक्त पद से परम बीरसिंह को हटाए जाने के दो दिन बाद शिवसेना ने शुक्रवार को उनका बचाव करते हुए कहा कि उनका तबादला उन्हें अपराधी नहीं बना देता है। सत्तारूढ़ पार्टी ने आरोप लगाया कि ‘दिल्ली का एक खास गुट’ उनके कार्यकाल के दौरान टीआरपी घोटाला सामने आने की वजह से उनसे नाराज चल रहा था।
‘सामना’ ने अपने मुखपत्र में कहा, ‘ मुंबई के कार्माइकेल रोड पर एक वाहन में 20 जिलेटिन छड़ें रखी थी, जिसकी वजह से पिछले कुछ दिनों में राज्य की राजनीति और प्रशासन में भूचाल आ गया। परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया और वरिष्ठ अधिकारी हेमंत नागराले को उनकी जगह तैनात किया गया। ये सभी नियमित तबादले नहीं थे।’
सामना में कहा गया कि उम्मीद है कि यह कदम राज्य सरकार की छवि खराब करने की नहीं है। एनआईए सामान्य तौर पर आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित मामले की जांच करती है। इस मामले में आतंक का कोई पहलू नहीं है। फिर भी जांच एजंसी इसकी जांच के लिए आई है।? उरी, पठानकोट, पुलवामा की एजेंसी की जांच अब भी रहस्यमय बनी हुई है। मुंबई में 20 जिलेटिन छड़ों का मिलना एनआईए के लिए बड़ी चुनौती प्रतीत हो रहा है।’
सामना में कहा गया कि परमबीर सिंह ने मुंबई पुलिस प्रमुख के तौर पर कोविड-19 महामारी जैसे मुश्किल वक्त में काम किया और पुलिस बल का मनोबल बढ़ाया।
सामना में कहा गया, ‘उनके कार्यकाल के दौरान ही टेलिविजन रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) घोटाला प्रकाश में आया। दिल्ली का एक खास गुट इसको लेकर उनसे नाराज चल रहा था। सिंह का तबादला जरूर हुआ है लेकिन इससे वह अपराधी नहीं बन जाते हैं।’