चीन ने बीते कुछ वर्षों में अपने संबंध कई देशों से इस कदर बिगाड़ लिए हैं कि उन्हें सुधारना काफी कम लगता है। मौजूदा समय में चीन के विभिन्न राष्ट्रों से कई मुद्दों पर विवाद इस कदर बढ़ चुका है कि चीन के लिए उन्हें खत्म करना टेढ़ी खीर बन चुका है। उसके साथ में समस्या ये भी है कि वो इन विवादों से अपने कदम वापस खींचकर अपनी जग हंसाई भी नहीं करवाना चाहता है। आपको बता दें कि चीन के साथ विभिन्न देशों को लेकर शुरू हुआ विवाद उनमें उसकी विस्तारवादी नीति, जानलेवा कोरोना वायरस और ट्रेड वार के अलावा हांगकांग का भी मुद्दा शामिल है। अब आपको उन कुछ देशों के नाम बता देते हैं जिन्हें चीन ने अपना दुश्मन बनाया है।
अमेरिका
बीते कुछ वर्षों से अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार चरम पर पहुंच चुका है। दोनों ही देश इस मुद्दे पर पर अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं हैं। अमेरिका हांगकांग के मुद्दे पर भी चीन से काफी नाराज है। उसने हांगकांग को दिया गया स्पेशल स्टेटस का दर्जा भी वापस ले लिया है। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर पर दोनों ही देशों के बीच काफी समय से तीखी बयानबाजी हो रही है। ट्रेड वार की बात करें तो अमेरिका नहीं चाहता है कि चीन को किसी भी तरह से एकतरफा फायदा पहुंचाया जाए। ट्रंप साफ कर चुके हैं के कि जो फायदा चीन अमेरिका में अपने उत्पादों से कमाता है कि उसी नीति के तहत अमेरिका को भी अपने उत्पादों पर छूट मिलनी चाहिए। हांगकांग के मुद्दे की बात करें तो चीन पर बीते कुछ समय के अंदर ही अमेरिका ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इतना ही नहीं अमेरिका ने चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़े कुछ बड़े नेताओं पर भी अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है।
चीन की कई कंपनियों को प्रतिबंधित करने के साथ अमेरिका ने चीन के नागरिकों को भी वापस जाने के लिए कहा है। चीन के राजनेताओं पर प्रतिबंध लगाए जाने की सबसे बड़ी वजह हांगकांग में चीन की सरकार का तानाशाही रवैया ही है। जब से चीन ने हांगकांग में अपना राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया है तब से कई देशों ने उसकी तरफ से आंखें तरेर ली हैं। दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के जंगी जहाजों की मौजूदगी को लेकर पहले से ही चीन अपने कड़े तेवर दिखा चुका है। चीन ने अमेरिका को ये भी कहा है कि हांगकांग के मसले पर उसका बोलना जायज नहीं है क्योंकि ये पूरी तरह से उसका आंतरिक मुद्दा है। अमेरिका ने मित्र राष्ट्रों की सेनाओं को भी चीन और दक्षिण चीन सागर की घेराबंदी करने को कहा है। आईएएनएस और रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका के यूएसएस रोनाल्ड रीगन और यूएसएस निमित्ज दक्षिण चीन सागर में हैं और वहां पर अमेरिका 12 हजार जवानों के साथ युद्ध अभ्यास कर रहा है। हालांकि चीन ने इसको लेकर अमेरिका को चेतावनी भी दी है।
ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया
हांगकांग के मुद्दे पर ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया दोनों ही चीन से न सिर्फ नाराज हैं बल्कि इन्होंने अंजाम भुगतने की भी धमकी चीन को दे दी है। इन दोनों ही देशों ने हांगकांग के नागरिकों को अपने देश की नागरिकता देने की भी बात कही है, जिसकी वजह से चीन के स्वर और तेवर दोनों ही इनके प्रति सख्त हो गए हैं। चीन ने कहा है कि हांगकांग का मसला उसका आंतरिक मसला है इसलिए किसी भी देश को इस बारे में बात करने और बयानबाजी करने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं दक्षिण चीन सागर पर भी चीन का इन दोनों से विवाद है। ब्रिटेन ने जहां अपने जंगी जहाज के बेड़ों को यहां पर तैनात करने को कहा है तब से चीन ज्यादा ही खफा दिखाई दे रहा है। यहां पर ब्रिटेन के जहाज जपान की नेवी के साथ मौजूद रहेंगे और युद्ध अभ्यास भी करेंगे। वहीं आस्ट्रेलिया इसलिए खफा है क्योंकि पूर्व में चीन उनके जहाजी बेड़ों को यहां आने से रोकने की धमकी देता रहा है। इतना ही नहीं दक्षिण चीन सागर से गुजरते हुए आस्ट्रेलियाई लड़ाकू विमानों पर लेजर बीम से निशाना बनाए जाने की भी खबर आ चुकी है। इसको लेकर आस्ट्रेलिया अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जता चुका है।
ताईवान
ताईवान को चीन अपना हिस्सा मानता है, लेकिन ताईवान की सरकार ऐसा नहीं मानती है। ताईवान दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार मानता है। इतना ही नहीं ताईवान से अन्य देशों के रिश्तों पर भी चीन कड़ी नाराजगी जताता रहा है। हाल ही में ताईवान ने दक्षिण चीन सागर से महज 150 किमी की दूरी पर समुद्र में अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अभ्यास किया था। इतना ही नहीं ताईवान तो अमेरिका अपनी उन्नत पेट्रियोट मिसाइल भी दे रहा है। इराक के साथ हुए युद्ध में इस मिसाइल ने बड़ी अहम भूमिका निभाई थी। ये सभी कुछ चीन के खिलाफ ताईवान के हाथ मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।
कनाडा
हांगकांग के मुद्दे पर कनाडा ने भी अब अपना कड़ा रुख इख्तियार कर लिया है। कनाडा से चीन के बीच तनाव की शुरु चीन की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी हुआवेई की प्रमुख को गिरफ्तार कर अमेरिका को प्रत्यर्पित करने के साथ शुरू हुआ था। अब कनाडा ने चीन को सबक सिखाने की बात कहकर आग में घी डालने का काम किया है।
भारत
भारत की चीन से करीब 4 हजार किमी की सीमा लगती है। चीन से काफी समय से भारत का सीमा विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश के अलावा सिक्किम को भी अपना हिस्सा बताता आया है। इसके लिए वर्षों से भारत के अक्साई चिन पर भी उसने कब्जा किया हुआ है। इसके अलावा हाल ही में गलवन घाटी में शुरू हुआ विवाद उसकी विस्तारवादी नीति को ही दर्शाता है। गलवन में हुए चीन सेना के जवानों के साथ संघर्ष और 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद भारत ने न सिर्फ चीन के कई ऐप पर प्रतिबंध लगाया है बल्कि व्यापार में भी उसको करारा झटका दिया है।आईएएनएस के मुताबिक कुछ दिन पहले ही भारत ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि ये सभी देशों के लिए है, इस पर केवल चीन का अधिकार नहीं है।
60 से अधिक देश चाहते हैं जवाब
इन सभी के अलावा कोरोना वायरस के स्रोत के मुद्दे पर 60 से अधिक देश चीन के खिलाफ हैं। आस्ट्रेलिया और जर्मनी द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर जिन देशों ने साइन किए हैं उनमें से एक भारत भी है। ये मसौदा इस वायरस के स्रोत को तलाशना है। आपको बता दें कि अमेरिका काफी समय से ये कहता रहा है कि चीन ने इस वायरस को अपनी लैब में बनाया और फिर वहां से ये पूरी दुनिया में पहुंचा है।