उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में श्रम कानूनों में बदलाव का भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने विरोध किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन का कहना है कि राज्य सरकारों ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है और वह इनके खिलाफ प्रदर्शन करेगा.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू किए लॉकडाउन के कारण ठप पड़ी उद्योग-धंधों की रफ्तार बढ़ाने के लिए कई प्रदेश सरकारों ने श्रम कानूनों को नरम बनाया है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्रम कानूनों को 3 साल के लिए शिथिल कर दिया, वहीं मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी श्रम कानून में संशोधन कर कई बदलाव किए हैं.
एमपी में कारखानों में काम करने की शिफ्ट अब 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे की कर दी गई है. गुजरात सरकार ने भी श्रम कानूनों में बदलाव किए हैं.
भारतीय मजदूर संघ ने इसके विरोधी की तैयारी शुरू कर दी है. BMS के केंद्रीय पदाधिकारियों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार होगा.
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने बताया कि यह बैठक शुक्रवार शाम या शनिवार को हो सकती है. उपाध्याय ने कहा कि मजदूर संघ राज्य सरकारों के इस कदम का समर्थन नहीं करता और इसके विरोध के लिए हम कार्ययोजना बनाएंगे.
उपाध्याय ने कहा, ‘भारत में वैसे ही श्रम कानूनों का पालन कड़ाई से नहीं होता और जो हैं भी उन्हें भी निलंबित या खत्म किया जा रहा है. हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि जो श्रम कानून हैं उनको भी ठीक से लागू नहीं किया जाता. देश में नौकरियों की कमी है और लोगों को मनमाने तरीसे से इस्तीफा लेकर नौकरियों से निकाला जा रहा है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार भी श्रम सुधारों की कोशिश में लगी है, लेकिन उसका रास्ता आसान नहीं है, क्योंकि विपक्ष और ट्रेड यूनियन इसके खिलाफ हैं.
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