अडाणी समूह को दिल्ली के पॉश इलाके लुटियंस में 1,000 करोड़ रुपये का घर केवल 400 करोड़ में मिल गया है। 3.4 एकड़ में फैले इस आलीशान बंगले का बिल्ट-अप एरिया 25,000 स्क्वायर फीट है। जिसमें सात बेडरूम, 6 डाइनिंग रूम, एक स्टडी रूम और 7,000 स्क्वायर फीट में स्टाफ क्वार्टर बने हुए हैं।

इस बंगले के चारों तरफ काफी हरियाली है। दो मंजिला यह बंगला भगवान दास रोड पर है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस बंगले का मालिकाना हक पहले आदित्य एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के पास था। मगर उसके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया में अडाणी ग्रुप की बोली मंजूर हुई है।
इस बंगले को इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति भी खरीदना चाहते थे। कुछ साल पहले आदित्य एस्टेट्स ने इस बंगले की कीमत 1,000 करोड़ रुपये आंकी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने अडाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रस्ताव को 14 फरवरी को मंजूरी दी थी।
आदित्य एस्टेट्स के 93 प्रतिशत कर्जदाता भी अडाणी की बोली के पक्ष में थे। एनसीएलटी के दस्तावेजों के अनुसार दिवालिया प्रक्रिया में बंगले की कीमत केवल 265 करोड़ रुपये आंकी गई थी। अडाणी प्रॉपर्टीज को पांच करोड़ रुपये की गांरंटी के साथ 135 करोड़ रुपये का कनवंर्जन चार्ज भी चुकाना होगा।
अडानी ने जिस बंगले को खरीदा है उसका इतिहास अंग्रेजों के जमाने का है। यूनाइडेट प्रोविंसेज लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य लाला सुखबीर सिन्हा ने इसे 1921 में खरीदा था।
इससे पहले बंगले में विदेश विभाग का कार्यालय था। यहीं पर स्टाफ के रहने की भी व्यवस्था थी। आदित्य एस्टेट्स ने 1985 में इसे खरीदा था। कर्ज की रिकवरी के लिए आईसीआईसीआई बैंक यूके ने पिछले साल 26 फरवरी को आदित्य एस्टेट्स के खिलाफ दिवालिया की अर्जी लगाई थी।
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